Book Title: Shwetambar Mat Samiksha
Author(s): Ajitkumar Shastri
Publisher: Bansidhar Pandit

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Page 278
________________ । २७० । ___" श्वेताम्बरोंका कहना है कि दिगम्बर माम्नाय श्वेताम्बरोंके छीछे हई है।परन्तु There is authorita tive pronouncement that the Digamber must have ekisted from long before the Swetambari sect was formed. ___अर्थात्-इस बात के बहुत हद प्रमाण हैं कि श्वेताम्बरी जैनिको पहले दिगम्बर जैनी बहुत पहलेसे मौजूद थे। इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटेनियाके ११ वें ऐडीशनके १२७ वे पृष्ठपर विवा है कि श्वेताम्बर लोग ६ ठी शताब्दीसे पाये गये हैं। दिगभी वही प्राचीन निग्रंथ हैं जिनका वर्णन बौद्धकी पाली रिटकोंमें भाया है। वेदान्तसूत्रके शाकरभाष्यमें द्वितीय अध्याय, दसरा पाद ३३ वें सूत्र " नैकस्निनसंभवात् " की टीकामें यों लिखा है-- . "निरस्तः सुगतसमयः विवसनसमय इदानीं निरस्यते । सप्त चैषां पदार्गः सम्मता जीवाजीवास्रवन्धसंवरनिर्जरामोक्षा नाम । " यानी-बौद्ध मतका खंडन किया अब वस्त्र रहित दिगम्बरोंका मत खंडित किया जाता है। इनके सिद्धान्तमें जीव अजीव आस्रव बन्ध संका निर्बरा और मोक्ष ये सात पदार्थ हैं। इस प्रकार इस ग्रंथमें भी जैनधर्मको दिगम्बरोंके नामसे सम्बोधन किया गया है। स बिलियम हंटर साहब लिखित 'दी इन्डियन ऐम्पायर' (भारत राज्य ) पुस्तकके २०६ ठे पृष्ठपर लिखा है। "दक्षिणी बौ के शास्त्रों में भी नग्न जैन दिगम्बरोंके और भले प्रका बौद्धोंके बीचमें सम्वाद होनेकी एक बात लिखी है । " 'जैनमित्र ' के भाद्रपद कृष्णा द्वितीया वीर सं० २४३५ के (२. वां वर्ष १९-२० वां अंक) १० वे पृष्ठपर मिस्टर बी. दिन राइस सी. आई. ई. के लेखका सार भाग यों प्रकाशित " समयके फेरसे दिगम्बर जैनियों में एक विभाग उठ खडा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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