________________
वर्ष पीछे केवलज्ञान उनको उत्पन्न हुआ था । जैसा कि कल्पसूत्र के ७७ वें पृष्ठ पर भी लिखा हुआ है कि___ " एवी रीते तेरमा वर्षनी वैशाख सुदी दशमीने दहाडे....... बाधारहित तथा आवरण रहित एवां केवल ज्ञान भने केवलदर्शन प्रभुने उत्पन्न थयां ।"
अर्थात्-इस प्रकार तेरहवें वर्ष वैशाख सुदी दशमीके दिन...... बाधा और आवरण रहित केवलज्ञान और केवलदर्शन उत्पन्न हुआ।
इस तरह प्रथम तो कल्पसूत्रका पूर्वोक्त कथन परस्पर विरुद्ध है। किंतु यह तो स्पष्ट है कि मुक्त होनेसे वीस वर्ष पहले महावीर स्वामी अर्हत हो चुके थे इस कारण वे अंतम तीस वर्षांतक पूर्ण वीतराग रहे थे। ___जब कि वे पूर्ण वीतराग थे फिर गौतम गणधर के साथ उनका प्रेमबंधन किस प्रकार संभव हो सकता है ? प्रेमभाव तो सरागी पुरुषके ही होता है । यदि इस बातको यों समझा जाय कि प्रेमभाव महावीरको न होकर गौतमस्वामीको ही था तो फिर गौतम गणधरके प्रेमबन्धसे महावीर स्वामीके मुक्तिगमनमें क्या रुकावट थी ? जिसको कि कल्पसूत्र के रचयिताने “गौतमगणधरका प्रेमबन्धन टूटते हुए महावीर स्वामी को मोक्ष हो गई" ऐसा लिखा है । प्रेमबन्धन गौतम गणधरके होवे
और उसके कारण भगवान महावीर मोक्ष प्राप्त न कर सकें यह बात बिलकुल ऊटपटांग है।
तीसरे-जबकि महावीर स्वामी उत्तम वीतराग थे तब उन्हें देवशर्माको प्रतिबोध देनेके बहाने गौतम गणधरको बाहर इस लिये भेज देना कि " यह कहीं यहां रह गया तो मेरे मुक्त होनेपर मेरे वियोगसे दुखी होगा-अश्रुपात करेगा " कहां तक उचित है ? ऐसा करना भी मोहजनित है। ___ इस कारण श्वेताम्बरीय ग्रंथोंकी इस कथाके अनुसार भगवान . महावीर स्वामीके अर्हन्त अवस्थामें मोहभाव सिद्ध होता है । जो कि असंभव तथा सिद्धान्तविरुद्ध बात है।
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com