Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 3
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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विषय-क्रम
विषय
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प्रमाण का विषय सामान्य विशेषात्मक पदार्थ है २ सामान्य स्वरूप विचार : सामान्य के दो प्रकार तिर्यक सामान्य और ऊर्ध्वता सामान्य सदृश परिणाम स्वरूप तिर्यक् सामान्य है बौद्धाभिमत सामान्य का निरसन सामान्य और विशेष एक ही इन्द्रिय द्वारा गम्य है, अत : इनमें भेद नहीं ऐसा कहो तो। ___ वायु और धूप में भेद सिद्ध नहीं होगा सामान्य को काल्पनिक मानने पर अनुगत ज्ञान का प्रभाव होगा गो व्यक्तियां एक ही कार्य नहीं करती योग का नित्य एवं व्यापक सामान्य प्रसिद्ध है यदि सामान्य सर्वगत है तो गो व्यक्तियों के अंतराल में क्यों नहीं प्रतीत होता? मीमांसक भाट्ट सामान्य और विशेष को सर्वथा तादात्म्य रूप मानते हैं किन्तु वह ठीक नहीं २५ सामान्य को सर्वगत सिद्ध करने के लिये मीमांसक का पक्ष
२६-३० जैन द्वारा उक्त पक्ष का निरसन
३१-३२ सदृश परिणाम स्वरूप सामान्य प्रतिव्यक्ति में भिन्न भिन्न है
४१ सामान्य स्वरूप विचार का सारांश
४७-५० २ ब्राह्मणत्व जाति निरास :
५१ से ७२ मीमांसक द्वारा ब्राह्मणत्व जाति की नित्यता सिद्ध करने के लिये प्रत्यक्षादि प्रमाण
उपस्थित करना जैन द्वारा उसका निरसन प्रत्यक्ष द्वारा ब्राह्मण्य सिद्ध नहीं होता ब्राह्मण की उत्पत्ति ब्रह्मा के मुख से हुई है ऐसा कहना हास्यास्पद है
आगम द्वारा ब्राह्मण्य सिद्ध नहीं होता ब्राह्मणत्व जाति के निरसन का सारांश
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