________________
कुवलयानन्दः
यथा वा
खमिव जलं जलमिव खं हंस इव चन्द्रश्चन्द्र इव हंसः ।
कुमुदाकारास्तारास्ताराकाराणि कुमुदानि ॥ पूर्वत्र पूर्णश्रीरिति धर्म उपात्तः । इह निर्मलत्वादिधर्मो नोपात्त इति भेदः । उदाहरणद्वयेऽपि प्रकृतयोरेवोपमानोपमेयत्वकल्पनम् । राज्ञिधर्मार्थसमृद्धेः शरदि गगनसलिलादिनैर्मल्यस्य च वर्णनीयत्वात् प्रकृताप्रकृतयोरप्येषा संभवति । यथा वा
गिरिरिव गजराजोऽयं गजराज इवोच्चकैर्विभाति गिरिः । निर्भर इव मदधारा मदधारेवास्य निर्झरः स्रवति ।। ११ ।।
४ प्रतीपालङ्कारः प्रतीपमुपमानस्योपमेयत्वप्रकल्पनम् ।
वल्लोचनसमं पड़ त्वद्वक्त्रसदृशो विधुः ॥ १२ ॥ 'शरद ऋतु में जल आकाश के समान (निर्मल) है, आकाश जल के समान (निर्मल) है, चन्द्रमा हंस के समान (धवल) है, हंस चन्द्रमा के समान (धवल) है। तारागण कुमुदिनी की भाँति सुशोभित हो रहे हैं, और कुसुदिनियाँ तारागणों की भाँति सुशोभित हो रही हैं।
(यहाँ जल-आकाश, चन्द्र-हंस, तारागण कुमुदिनी परस्पर पर्याय से एक दूसरे के उपमानोपमेय हैं। इस पद्य को वामन ने भी उपमेयोपमा के प्रकरण में उदाहृत किया है।)
प्रथम उदाहरण में 'पूर्ण श्रीः' साधारण धर्म का प्रयोग किया गया है । द्वितीय उदाहरण में 'निर्मलत्वादि' साधारण धर्म का प्रयोग नहीं हुआ है, यह दोनों उदाहरणों का अन्तर है । इन उदाहरणों में उपमान तथा उपमेय दोनों ही पदार्थ प्रकृत हैं । राजा के वर्णन में धर्म तथा अर्थ दोनों का अस्तित्व प्रकृत है, इसी तरह शरद ऋतु के वर्णन में जल आकाश, हंस-चन्द्र, तारा-कुमुदिनी सभी प्रकृत विषय हैं। अतः इन दोनों उदाहरणों में यह प्रकृतपदार्थनिष्ठ उपमेयोपमा है। यह प्रकृताप्रकृत की भी हो सकती है, जहां एक पदार्थ प्रकृत हो अन्य अप्रकृत । जैसे
'यह हाथी पर्वत के समान सुशोभित है, पर्वत ऊँचाई में हाथी के समान सुशोभित होता है। इस हाथी की मदधारा झरने के साश बहती है, पर्वत के झरने इस हाथी की मदधारा के समान बहते हैं,
यहाँ हाथी तथा मदधारा प्रकृत पदार्थ हैं, पर्वत तथा निर्झर अप्रकृत । हाथी के साथ प्रयुक्त 'अयं' पद उसके प्रकृतत्व का बोधक है। प्रथम अंश में प्रकृत उपमेय हैं, अप्रकृत) उपमान, द्वितीय अंश में अप्रकृत उपमेय हैं, प्रकृत उपमान । पूर्वार्ध में ऊँचाई (उच्चैः साधारण धर्म है, उत्तरार्ध में 'स्रवण' क्रिया ।
४. प्रतीप अलंकार १२-जहाँ (प्रसिद्ध) उपमान को उपमेय बना दिया जाय, वहाँ प्रतीप अलङ्कार होता है, जैसे हे सुन्दरि, कमल तुम्हारे नेत्र के समान (सुन्दर) है, और चन्द्रमा तुम्हारे मुख के समान ( आवाददायक)।