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यथा वा ( विकटनितम्बा ) -
प्रस्तुता कुरालङ्कारः
अन्यासु तावदुपमर्दसहासु भृन ! लोलं विनोदय मनः सुमनोलतासु । बालामजातरजसं कलिकामकाले
व्यर्थ कदर्थयसि किं नवमल्लिकायाः १ ॥
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अत्राप्युद्यानमध्ये चरन्तं भृङ्गं प्रत्ययमुपालम्भ इति वाच्यार्थस्यापि प्रस्तुत - स्वम् । इदं च प्रौढाङ्गनासु सतीषु बालिकां रतये क्लेशयति कामिनि शृण्वति कस्याश्चिद्विदग्धाया वचनमिति तं प्रत्युपालम्भो द्योत्यते ।
यथा वा
कोशद्वन्द्वमियं दधाति नलिनी कादम्बचनुक्षतं
धत्ते चूतलता नवं किसलयं पुंस्कोकिलास्वादितम् । इत्याकर्ण्य मिथः सखीजनवचः सा दीर्घिकायास्तटे चेलान्तेन तिरोदधे स्तनतटं बिम्बाधरं पाणिना ।
दुष्प्रधर्ष (दुःख से वश में आने लायक ) परकीया नायिका में अथवा अनुरक्त कामुक व्यक्तियों के समस्त धन का अपहरण करने के संकल्प के कारण दुर्लभ वेश्या में - जो काँटों से युक्त केतकी के समान है-अनुरक्त है । उस प्रकार प्रस्तुत भृङ्गोपालंभ के द्वारा नायकोपालंभ व्यंजित होता है ।
अथवा जैसे
( किसी बालिका के साथ उद्यान में रमण करते नायक को देखकर उसे सुनाकर कोई चतुर नायिका भौंरे को लक्ष्य बनाकर कह रही है | )
'हे भौंरे, जब तक यह नवमल्लिका की कली विकसित नहीं हो जाती तब तक तुम मर्दन को सहन करने में समर्थ अन्य पुष्पलताओं से अपना चंचल मन बहला लो। तुम इस नवमल्लिका की नवीन कली को - जिसमें अभी पराग उत्पन्न नहीं हुआ हैमें ही व्यर्थ क्यों कुचल रहे हो ।'
-असमय
( यहाँ प्रस्तुत भृङ्गवृत्तान्त के द्वारा ऐसे प्रस्तुत नायक की व्यंजना हो रही है, जो तरुणियों के होते हुए किसी बालिका को रतिक्रीडा से पीडित करता है । )
यहाँ यह उपालम्भ उद्यान में घूमते हुए भौंरे के प्रति कहा गया है, अतः यह वाक्यार्थ भी प्रस्तुत है । इसके द्वारा किसी ऐसे नायक के प्रति उपालम्भ व्यंजित होता है, जो प्रौढांगनाओं के होते हुए बालिका को रतिक्रीडा के लिये पीडित करता है तथा जिसको सुनाकर किसी चतुर नायिका ने इस उक्ति का प्रयोग किया है (अतः व्यंगार्थ भी प्रस्तुत है ) । अथवा जैसे
कोई नायिका किसी बावली के तट पर नहाने आई है। उसे देख कर कोई सखी दूसरी सखी से कहती है :- 'देखो, यह कमलिनी हंस की चोंच के द्वारा क्षतविक्षत दो कमलकलिकाओं को धारण कर रही है, यह आम्रलता कोकिल के द्वारा चखे गए किसलय को धारण कर रही है ।' सखियों की इस परस्पर बात को बावली के तट पर सुनकर उस नायिका ने अपने स्तनद्वय को कपड़े से तथा बिंब के समान लाल ओठ को हाथ से बैँक लिया ।'