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उन्मीलित- विशेषालङ्कारः ८१-८२ उन्मीलित- विशेषालङ्कारौ भेदवैशिष्टययोः स्फूर्तावुन्मीलितविशेषकौ । हिमाद्रि त्वद्यशोमनं सुराः शीतेन जानते || लक्षितान्युदिते चन्द्रे पद्मानि च मुखानि च ॥ १४८ ॥
सहजमागन्तुकं वा किमपि साधारणं यत् लक्षणं तद् द्वारेण यत्किंचित् केनचिद्वस्तु वस्तुस्थित्यैव बलीयस्तया तिरोधीयते तन्मीलित मिति द्विधा स्मरन्ति, तत्रोदाहरणम् -'अपाङ्गतरले......संलक्ष्यते' अत्र दृक्तरलतादिकमङ्गस्य लिङ्गं स्वाभाविकं साधारणं च मदोदयेन तत्राप्येतस्य दर्शनात् ।
मम्मट का सामान्य का लक्षण तथा उदाहरण भिन्न है । जहाँ प्रस्तुत तथा अप्रस्तुत पदार्थ. के योग में दोनों के गुणसाम्य के विवक्षित होने के कारण, दोनों की एकरूपता प्रतिपादित की जाय, वहाँ सासान्य होता है :
प्रस्तुतस्य यदन्येन गुणसाम्यविवचया ।
ऐकात्म्यं बध्यते योगात्तत्सामान्यमिति स्मृतम् ॥ ( १०-१३४ )
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इसका उदाहरण मम्मट ने ठीक वैसा ही दिया है जैसा 'मल्लिकामालधारिण्यः' है । मम्मट का उदाहरण निम्न है :
मलयजरसविलिप्ततनवो नवहारलताविभूषिताः, सिततरदन्तपत्रकृतवक्त्ररुचो रुचिरामलांशुकाः ।
शशभृति विततधाग्नि धवलयति धरामविभाव्यतां गताः, प्रियवसतिं प्रयान्ति सुखेन निरस्तभियोऽभिसारिकाः ॥
८१-८२. उन्मीलित और विशेष अलङ्कार
१४८ - जहाँ मीलित का लक्षण होने पर भी किसी कारण विशेष से भेदज्ञान हो जाय, वहाँ उन्मीलित अलङ्कार होता है । जहाँ सामान्य का लक्षण होने पर भी किसी कारण से वैशिष्ट्य ज्ञान हो जाय, वहाँ विशेष अलङ्कार होता है । ( इस प्रकार उन्मीलित तथा विशेष क्रमशः मीलित तथा सामान्य के प्रतिद्वन्द्वी अलङ्कार हैं । इनके क्रमशः ये उदाहरण हैं ।)
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हे राजन् हिमालय तुम्हारे यश में मिल गया है, किंतु देवता शीत गुण के कारण उसका ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं । (उन्मीलित )
चन्द्रमा के उदय होने पर तालाब में धँसी नायिकाओं के मुख तथा कमलों का वैशिष्टयज्ञान स्पष्ट हो गया । ( विशेष )
टिप्पणी- पण्डितराज जगन्नाथ इन दोनों अलङ्कारों को नहीं मानते । सामान्य अलङ्कार के प्रकरण में वे अध्पयदीक्षित के मत का उलेख कर उसका खण्डन करते हैं, तथा इन दोनों अलङ्कारों का समावेश अनुमान अलङ्कार में करते हैं ।
यत्तु - 'मीलितरीत्या ' "इति कुवलयानंदकृदाह तच, अनुमानालङ्कारेणैव गतार्थत्वादनयोरलङ्कारान्तरत्वायोगात् । (रसगङ्गाधर पृ० ६९७ )
चन्द्रिकाकार वैद्यनाथ ने पण्डितराज के मत का खण्डन कर पुनः दीक्षित के मत की प्रतिष्ठा पना की है । वे कहते हैं कि इन उदाहरणों में भेदप्रतीति तथा विशेषप्रतीति हो रही है, अतः