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न च धान्य—कडङ्करचययोः कार्यकारणभावादिसम्बन्धोऽस्ति | अतः सहोत्पन्त्यादिकमपि सम्बन्धान्तरमाश्रयणीयमेव । एवमुपमानोपमेयावाश्रित्य तत्र कविकल्पित कार्यकारणभावनिबन्धने अप्रस्तुतप्रशसे दर्शिते । ततोऽन्यत्रापि दृश्यते ।
कुवलयानन्दः
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यथा-
कालिन्दि !, ब्रूहि कुम्भोद्भव ! जलधिरहं, नाम गृह्णासि कस्मा
च्छत्रो, नर्मदाऽहं त्वमपि वदसि मे नाम कस्मात्सपत्न्याः ? । मालिन्यं तर्हि कस्मादनुभवसि ?, मिलत्कज्जलैर्मालवीनां
नेत्राम्भोभिः किमासां समजनि ?, कुपितः कुन्तलक्षोणिपालः ॥
अत्र 'किमासां समजनि ?' इति मालवीनां तथा रोदनस्य निमित्ते पृष्टे तत्प्रियमरणरूपनिमित्तमनाख्याय 'कुपितः कुन्तलक्षोणिपाल:' इति तत्कारणभिहितमिति कारण निबन्धना | मालवान्प्रति प्रस्थितेन कुन्तलेश्वरेण 'किं ते निजिता: ?' इति पृष्टे तद्बधानन्तरभावि जलधि- नर्मदा प्रश्नोत्तररूपं कार्यमभिहितमित्यत्रैव कार्यनिबन्धनापि । पूर्वस्यां प्रश्नः शाब्दः अस्यामा इति भेदः ॥ ६६ ॥
है। यहाँ धान्य तथा बस में कार्यकारणभावादिसंबंध नहीं माना जा सकता। इसलिए यहाँ हमें दूसरा ही सम्बन्ध मानना होगा, वह होगा सहोत्पत्ति सम्बन्ध - क्योंकि धान्य तथा बस साथ-साथ पैदा होते हैं । इस प्रकार उपमानोपमेय की कल्पना कर कविकल्पित कार्यकारणभावनिबंधनरूपा अप्रस्तुतप्रशंसा के दोनों भेद बता दिये गये हैं । यह कल्पित कार्यकारणभावनिबंधन अन्यत्र भी देखा जाता है, जैसे निम्न पद्य में
समुद्र तथा नर्मदा के वार्तालाप के द्वारा कुन्तलेश्वर की वीरता का वर्णन उपस्थित किया गया है । 'कालिन्दि', 'कहो, अगस्त्य', 'अरे मैं अगस्त्य नहीं, समुद्र हूँ, तू मेरे शत्रु ( अगस्त्य ) का नाम क्यों ले रही है ?' 'तुम भी तो मेरी सौत ( कालिन्दी ) का नाम क्यों कह रहे हो ?' 'यदि तू कालिन्दी नहीं है, तो तेरे पानी में यह मलिनता कहाँ से आई ?' 'यह मलिनता मालवदेश की राजरमणियों के कज्जलयुक्त अश्रुओं कारण हुई है ।' 'उन्हें क्या हो गया है ?' 'कुन्तलनरेश क्रुद्ध हो गये हैं ।'
द्वारा
यहाँ समुद्र ने मालवरमणियों के कजलमलिननेत्रांबु से नर्मदा जल के मलिन होने का कारण जानने के लिए 'उन्हें क्या हुआ' (किमासां समजनि ) इस प्रश्न के मालवियों के रोने का कारण पूछा है, किन्तु नर्मदा ने उत्तर में उनके पतियों के मरणरूप कारण को न बताकर 'कुन्तलेश्वर कुपित हो गया है' इस कारण को बताया है, अतः यह कारणनिबंधना अप्रस्तुतप्रशंसा है। इसी पद्य में कार्यनिबंधना अप्रस्तुतप्रशंसा भी पाई जाती है । किसी व्यक्ति के यह पूछने पर कि मालव देश पर आक्रमण करने वाले कुन्तलेश्वर ने क्या' मालवदेश को जीत लिया है, उत्तर में कवि ने उसकी विजय तथा मालव राजाओं के वध के बाद होने वाले समुद्रनर्मदाप्रश्नोत्तर रूप कार्य का वर्णन किया है । इसमें कारणनिबंधना में 'किमासां समजनि' यह प्रश्न शाब्द है, जब कि कार्यनिबंधना
प्रश्न (किं जिताः मालवाः ? ) आर्थ है, यह दोनों में भेद है ।