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बीकानेर के व्याख्यान]
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क्यों फैला? मगर वह रोग नहीं, उषाकाल की महिमा को प्रकट करने वाला अंधकार था । जैसे उषाकाल से पहले रात्रि होती है और उस रात्रि से ही उषाकाल की महिमा जानी जाती है. उसी प्रकार वह महामारी भगवान् शांतिनाथ के उषाकाल के पहले की रात्रि थी। उसका निवारण करने के कारण ही भगवान् 'शांतिनाथ' पद को प्राप्त हुए। यद्यपि भगवान् गर्भ में आ चुके थे और उस समय रोग फैलना नहीं चाहिए था, फिर भी रोग के फैलने के बाद भगवान् के निमित्त से उसकी शांति होने के कारण भगवान् की महिमा का प्रकाश हुश्रा । इससे भगवान् के आने की सूचना और भगवान् के प्रताप का परिचय उनके माता-पिता को मिल गया।
राज्य में मरी रोग फैलने की सूचना महाराज अश्वसेन को मिली । महाराज ने यह जानकर कि मरी रोग के कारण लोग मर रहे हैं, रोग की उपशांति के अनेक उपाय किये। मगर शांति न मिली। ___ यह मरी लोगों की कसौटी थी। इसी से पता चलता था कि लोग मार्ग पर हैं या मार्ग भूले हुए हैं। यह मरी शांति से पहले होने वाली क्रांति थी। ___ उपाय करने पर भी शांति न होने के कारण महाराज बड़े दुःखी हुए। वह सोचने लगे-'जिस प्रजा का मैंने पुत्र के समान पालन किया है, जिसे मैंने अज्ञान से सज्ञान, निर्धन से धनवान् और निरुद्योगी से उद्योगवान् बनाया Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com