Book Title: Jain Darshan me Karan Karya Vyavastha Ek Samanvayatmak Drushtikon
Author(s): Shweta Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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काल की बहिरंग कारणता वर्तना का कारण आकाश नहीं, काल है
काललब्धि के रूप में काल की कारणता • अबाधा काल के रूप में काल की कारणता
विभिन्न आरकों का प्रभाव » जैनदर्शन में स्वभाव की कारणता
• षड्द्रव्यों का अपना स्वभाव • उत्पादव्ययध्रौव्यात्मकता : स्वभाव • विरसा परिणमन में स्वभाव की कारणता
• जीव का अनादि पारिणामिक भाव : स्वभाव - • अष्ट कर्मों में स्वभाव की कारणता जैनदर्शन में नियति की कारणता • कालचक्र में नियति की कारणता
तीर्थकरों में नियति काल एवं क्षेत्र में नियति.
जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति में नियति पोषक तत्त्व • सिद्धों में नियति • ६३ शलाका पुरुषों में नियति • कर्मसिद्धान्त में नियति • केवलज्ञान सहित दश बोलों का विच्छेद
नियति की साधारण धारणाएँ » जैनदर्शन में पूर्वकृत कर्म की कारणता
• अष्टविध कर्मों का प्रभाव • तीर्थकर बनना भी पूर्वकृत कर्म का परिणाम • कर्म की कारणता का विशद प्रतिपादन
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