Book Title: Jain Darshan me Karan Karya Vyavastha Ek Samanvayatmak Drushtikon
Author(s): Shweta Jain
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi
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सूत्रकृतांग और उसकी टीका में ईश्वरवाद का निरूपण एवं निरसन
ईश्वर की स्वतः प्रेरित और परतः प्रेरित क्रियाएँ कल्पना मात्र पूर्व शुभाशुभ कर्मों की कारणता से ईश्वर की सिद्धि अयुक्तियुक्त अविनाभाव के अभाव में कार्यमात्र से कारण का अनुमान असंगत
जगत् का वैचित्र्य ईश्वर की सिद्धि में अनुपपन्न • सन्मतितर्क टीका में ईश्वरवाद का निरसन
प्रभाचन्द्राचार्य द्वारा ईश्वरवाद का खण्डन सांख्यतत्त्वकौमुदी में ईश्वरवाद का खण्डन स्याद्वादमंजरी के अनुसार ईश्वरवाद का प्रत्यवस्थान - ईश्वर जगत्कर्ता नहीं - जगत् का निर्माण एक ईश्वर द्वारा संभव नहीं
ईश्वर की सर्वज्ञता का निरसन • ईश्वर जगत्सर्जन में स्वतन्त्र भी नहीं
पुरुषार्थ/पुरुषकार » जैन दर्शन में पुरुषकार ( पुरुषार्थ ) का महत्त्व » भारतीय संस्कृति में पुरुषार्थ चतुष्टय
• धर्म पुरुषार्थ • अर्थ पुरुषार्थ • काम पुरुषार्थ
मोक्ष पुरुषार्थ
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