Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ सू.१० प्रतिपृथिव्याः उपर्यधस्तनचरमान्तयोरन्तरम् १३५ भदन्त ! पृथिव्याः 'उवरिल्लाओ चरिमंताओ उपरितनात् चरमान्तात् 'ओवा. संतरस्स' अवकाशान्तरस्य हेठिल्ले चरिमंते' अधस्तनश्वरमान्त 'केवइयं अबाहाए अंतरे पन्नत्ते' कियत्यया अबाधया अन्तरं प्रज्ञप्तमिति प्रश्नः, भगवानाह-गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'असंखेज्जाइं जोयणसयसहस्साई' असंख्येयानि योजनशतसहस्राणि 'अबाहाए अंतरे पबत्ते' अबाधया अन्तरं प्रज्ञप्तमिति ।
तृतीयस्याः खलु भदन्त ! बालुकाममायाः पृथिव्या उपरितन चरमान्तादधस्तनचरमान्त एतदन्तर कियद् अबाधया प्रज्ञप्तम्, भगवानाह- हे गौतम ! अष्टाविंशतिसहस्राधिकं योजनशतसहस्रमबाधयाऽन्तर प्रज्ञप्तम् । हे भदन्त ! बालुकामभायाः पृथिव्या उपरितन चरमान्तात् घनोदधेरुपरितनचरमान्त एतद. पूछा है- 'अहे सत्तमाए णं भते पुढवीए' हे भदन्त ? इस अधःसप्तमी पृथिवी के 'उवरिल्लाओ चरिमंताओ' उपरितन चरमान्त से 'उवासं तरस्स हेठिल्ले चरिमंते' अवकाशान्त का अधःस्तन चरमान्त 'केवइयं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते' अबाधा से कितने अन्तर पर है ? उत्तर में प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम 'असंखेन्जाइं जोयणसयसहस्साई असंख्यात लाख योजन अबाधा से अन्तर कहा गया है ! आलापक प्रकार इस प्रकार से है
तृतीय बालुकाप्रभा पृथिवी के उतरितन चरमान्त से उसी के अधस्तन चरमान्त तक कितना अंतर कहा है ? इस के उत्तर में प्रभुश्रीने कहा हे गौतम बालुकाप्रभा पृथिवी के उपरितन चरमान्त से लेकर उसी के अधस्तन चरमान्त तक एक लाख अठाईस हजार योजन का अन्तर है क्योंकि बालुकाप्रभा पृथिवी की मोटाई एक लाख अठाईस हजार योजन ९ मापन् L अ५: सभी पृथ्वीना — उवरिल्लाओ चरिमंताओ' ५२ना यभान्तया 'उवासंतरस्स हेदिल्ले चरिमंते' अशान्तनु नीयनु यरमा-त 'केवइय अबाहाए अंतरे पण्णत्ते' असाथी डेटा मत२५२ भाव छ ?
मा प्रश्न उत्तरमा प्रभु गौतभस्वामीन डे छ, 'गोयमा !' है गौतम ! 'असंखेजाई जोयणसयसहस्साई' असभ्यात an योन समाधाथी भतर કહેવામાં આવેલ છે. તેના આલાપકનો પ્રકાર આ નીચે પ્રમાણે છે.
ત્રીજી વાલુકાપ્રભા પૃથ્વીના ઉપરના ચરમાન્તથી તેનાજ નીચેના ચરમાન્ત સુધીમાં કેટલું અંતર કહ્યું છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં પ્રભુ કહે છે કે હે ગૌતમ! વાલુકાપ્રભા પૃથ્વીની ઉપરના ચરમાનથી લઈને તેનાજ નીચેના ચરમાન્ત સુધી એક લાખ અઠયાવીસ હજાર જનનું અંતર કહ્યું છે. કેમકે વાલુકાપ્રભા
જીવાભિગમસૂત્ર