Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे लटाघृष्टामृष्टानीरजानिर्मला निष्पङ्का निष्वङ्कटच्छाया सप्रमा सश्रीका समरीचा सोद्योता प्रासादीया दर्शनीया अभिरूपा प्रतिरूपा । सा खलु जगती एकेन जालकटकेन सर्वतः समंतात संपरिक्षिप्ता ॥ स खलु जालकटकः खलु अर्द्धयोजन मुर्ध्वमुच्चत्वेन, पञ्चवनुः शतानि विष्कम्भेण, सर्वरत्नमयोऽच्छः इलक्ष्णः लष्टो
टोमष्टो नीरजाः निर्मलो निष्कटच्छायः सप्रभः सश्रीकः समरीचः सोद्योतः पासादीयो दर्शनीयोऽभिरूपः पतिरूपः ॥सू० ५१॥ ____टीका-'कहि णं भंते ! दीवसमुदा' कुत्र-कस्मिन् स्थाने खलु भदन्त ! द्वीपसमुद्राः, द्वीपाः समुद्राश्च सन्तीति द्वीपसमुद्राणामवस्थानविषयकः प्रथमः प्रश्न:, 'केवइयाणं भंते । दीवसमुद्दा' कियन्तः कियत्संख्यकाः खलु भदन्त ! द्वीपसमुद्राः प्रज्ञप्ता इति द्वीपसमुद्राणां संख्याविषयको द्वितीयः प्रश्नः, के 'महालयाणं भंते ! दीवसमुद्दा' कियन्महालया द्वीपसमुद्राः कियान् महानालयं आश्रयो व्याप्यक्षेत्ररूपो येषां ते कियन्महालयाः किं प्रमाणमहालयाः द्वीपसमुद्रा इति ___ ज्योतिष्कदेव तिर्यग्लोक में है अतः तिर्यग्लोक के प्रस्ताव से अब सूत्रकार द्वीप एवं समुद्र के सम्बन्ध में वक्तव्यता का कथन करते है।
'कहि णं भंते ! दीवसमुद्रा पन्नत्ता' इत्यादि। टीकार्थ-गौतम ने प्रभुश्री से ऐसा पूछा है- 'कहि णं भंते दीवसमुद्रा पण्णत्ता' हे भदन्त ! द्वीप और समुद्र किस स्थान पर कहे गये है ? अर्थात द्वीप समुद्रों का अवस्थान कहां पर है । इस प्रकार से यह प्रश्न गौतमका द्वीप और समुद्रों के अवस्थान के विषय में है । 'केवइया गं भंते ! दीवसमुद्रा' वे द्वीप समुद्र हे भदन्त ! कितन है ? यह प्रश्न उनकी संख्या के विषय में है। 'के महालया णं भंते ! दीवसमुद्रा' हे भदन्त ? वेद्वीपसमुद्र कितने-बडे-विशाल है ऐसा यह प्रश्न उनकी आयामादि
તિષ્કદેવ તિર્યશ્લેકમાં છે, તેથી તિર્યકના પ્રસ્તાવથી હવે સૂત્રકાર दीप भने समुद्रना समन्धमा ४थन ४२ता छे. 'कहि ण भंते ! त्यात
'कहि णं भंते ! दीवेसमुद्दा पण्णत्ता' त्याह
टी-श्रीगीतमस्वामी प्रभुश्रीन से पूछ्यु छ है 'कहि णं भंते ! दीवसमुद्दा पण्णत्ता' इस द्वी५ अने समुद्री ४५॥ स्थान ५२ ४ा छ ? अर्थात દ્વીપસમુદ્રોની સ્થિતિ કયાં આવેલ છે? આ રીતને આ પ્રશ્ન શ્રીગૌતમસ્વામીએ द्वीप पर समुद्रीना अवस्थान समयमा पूछे छे. 'केवइया णं भंते ! दीव समुद्दा' हे भगवन् से द्वीप समुद्री डेटा छ १ मा प्रश्न द्वीप समुद्रानी संध्यान संबधमा स छ. 'के महालया णं भंते ! दीवसमुद्दा' इससवन् તે દ્વીપ સમુદ્રો કેટલા મોટા વિશાળ પ્રમાણના છે? એ પ્રમાણેનો આ પ્રશ્ન તેના
જીવાભિગમસૂત્ર