Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 895
________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३सू.५३ वनषण्डादिकवर्णनम् सुसंपउत्तस्स' आकीर्णवरतुरगसुसंप्रयुक्तस्य, आकीर्णा गुणैाप्ता आकीर्ण जातीया वा ये वरा:-प्रधानास्तुरगा घटकास्ते सुष्ठु-अतिशयेन सम्यक्प्रयुक्ताः योत्रिता यस्मिन् स आकीर्णवस्तुरगसंप्रयुक्तस्तस्य, तथा-'कुसलनरछेयसारहिसु. संपरिगहियस्स' कुशलनरच्छेकसारथिसुसंपरिगृहीतस्य, सारथि कर्मणि-अश्वचालन कार्ये ये कुशला निपुणास्तेषां मध्ये अतिशयेन छेको दक्षस्तेन सारथिना मुष्ठुसम्यक् परिगृहीतस्य 'सरसय वत्तोसत्तूणपरिमंडियस्स' शरशतद्वात्रिंशत्तोणपरिमण्डितस्य, शराणां शतं प्रत्येकं येषु तानि शरशतानि, तानि च तानि द्वात्रिंशत्तूणानि च बाणाश्रयाः, इति शरशतद्वात्रिंशत्तूणानि तैर्मण्डितस्य, अयमर्थः-एवं खलु तानि द्वात्रिंशच्छरशतभूतानि तूणानि रथस्य सर्वतः ऐसेषु अवलम्बितानि संग्रामाय उपकल्पितस्थातीव मण्डनानीव भवन्ति, 'सकंकड़वडिसगस्स' सकडूटा वतंसकस्य, कङ्कटं कवचं सहकङ्कटं यस्य स सकङ्कटः' सकङ्कटः अवतंसा-शेखरो यस्य स सकङ्कटावतंसः तस्य, तथा-'स चावसरपहरणभरियस्स' स चापशरमहरणावरणभृतस्य, सह चापं येषां ते स चापाः ये शरबाणाः यानि च कुम्तमल्लिचढाई गइ हो 'आइण्णवरतुरगसुसंपउत्तस्स' अकीर्ण-गुणों से व्याप्त ऐसे श्रेष्ठ घोडे जिसमें अच्छी तरह से जूते हुए हों 'कुसलणरछेय. सारहि सुसंपरिग्गहियस्स' अश्वसंचालन रूप कार्य में कुशल ऐसे पुरुषों के बीच में जो दक्ष हैं ऐसे सारथि से जो युक्त हो 'सरसबत्तीस तोरणपरिमंडितस्स' जिन में प्रत्येक में सौ सौ वाण हों ऐसे ३२ बत्तीस भाथों से जो युक्त हो 'सकंकडवडिसगस्स' बकतर सहित मुकुट जिसका हो 'सचावसरपहरणभरियस्स' धनुषसहित वाण जिस में भरे हुए हो तथा-कुंत-भाले-आदि प्रहरण, एवं कवच खेटक आदि आयुधों से जो परिपूर्ण हो। 'जोहजुद्ध सज्जस्स' तथा योद्धाओं के युद्ध के निमित्त जो सजाया गया हो ऐसे 'रहवरस्स' संग्रामरथ के जब कि वह 'रायं. पामi AIवी हाय 'आइण्णवरतुरगसुसंपयुत्तस्स' 2ी गुथी व्यास सेवा उत्तम तीन घाममा सारी रीत तरवामां आवाहोय, 'कुसलणर छेयसारहि सुसंपरिगहियस्स सय सयासनना अयमा यतु२ ५३षामा । मति यतुर हाय सेवा साथिया रे युइत हाय, 'सरसवत्तीसतोण परिमडित स्स' मा ४२४मा सो सो माथे। डाय सेवा मत्रीस मायामाथी युक्त हाय 'सकंकडवडिंसगरस' मत२ सहित भुशुटी रेन हाय 'सचापसरपहर भरियस्स' धनुष सहित माये। हेमा हाय, तथा त-ला विशेष प्रहरी अने ४१२ पेट विगेरे भायुधाथी रे परिपू होय, 'जोहजुद्ध सज्जस्स' तथा योद्धायाना युद्ध माटे २२ सपाम भाव्या हाय, मेवा જીવાભિગમસૂત્ર

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