Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३ उ. ३ सू.४९ वानव्यन्तरदेवानां भवनादिकम्
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धानायां पर्षद 'अट्ठ देव साहस्सीओ पन्नत्ताओं' अष्ट देवसहस्राणि, प्रज्ञप्तानि, तथा - 'मज्झिमपरिसाए दसदेव साहस्सीओ पन्नत्ताओं' माध्यमिकायां पर्षदि दशसंख्यानि देवसहस्राणि प्रज्ञप्तानि, तथा - 'बाहिरियाए परिसाए बारस देव साहसीओ पाओ' बाह्य पर्षदि द्वादश देवसहस्राणि प्रज्ञप्तानि एवम् - 'अभितरियाए परिसाए एगं देविसयं पन्नत्तं' आभ्यन्तरिकायां पर्षदि एक देवीशतं प्रज्ञप्तम्, तथा - 'मज्झिमि - या परिसाए एवं देविसयं पन्नत्तं' माध्यमिकायां पर्षदि एक देवीशतं प्रज्ञप्तम्, 'बाहि रियाए परिसाए एवं देविसयं पन्नत्तं' बाह्यायां पर्षदि एक देवीशतं प्रज्ञप्तम् इति ॥
अथ पर्षद्रतदेवदेवीनां स्थितिविषये प्रश्नयन्नाह - ' कालस्स णं' इत्यादि, 'कालस्स णं भंते !' कालस्य खलु भदन्त ! ' पिसायकुमारिदस्स पिसायकुमाररायरस' पिशाचकुमारेन्द्रस्य पिशाच कुमारराजस्य 'अब्भितरियाए परिसाए' आभ्य राजकाल इन्द्र की आभ्यन्तर परिषदा में आठ हजार देव कहे गये है । 'मज्झिमधाए दस देव साहस्सीओ पन्नत्ताओ' मध्यमिका सभा में दसहजार देव कहे गये है । 'बाहिरियाए परिसाए बारसदेव साहस्सीओ पन्न ताओ' वायपरिषदा में १२ हजार देव कहे गये है । तथा-'अभितरिया परिसाए एगं देविसयं पण्णत्तं 'आभ्यन्तर परिषदा में एकसौ देवियां कही गई है 'मज्झमियाए परिसाए एवं देविसयं पण्णत्तं' मध्यमिका सभा में भी एक सौ देवियां कही गई है। 'बाहिरियाए परिसाए एगं देविसयं पन्नत्त' तथा वायपरिषदा में भी एकसौ देवियां कही गई है।
अब उन सब की स्थिति का कथन करते है । 'कालरस णं' इत्यादि, 'कालस्स णं भंते! पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररायस्स अभितरि -
सीओ पन्नत्ताओ' हे गौतमा ! पिशायकुमारेन्द्र पिशायडुभाररा डालनी माल्यन्तर परिषहाभां माइलर ८००० हेवे। उद्या छे. 'मज्झिमियाए दस देव साहसीओ पण्णत्ताओ' मध्यभि सलाभां १०००० इस हमर देवेो ह्या छे. 'बाहिरिया परिसाए बारसदेव साहस्सीओ पण्णत्ताओ' हे गौतम! परिषद्दामा १२००० भार हलर हेवा ह्या छे. 'अब्भिंतरियाए परिसाए एगं देविस पण्णत्तं' तथा आल्यन्तर परिषहाभां भेउ सो हेविया ही छे. मज्झिमियाए परिसाए एवं देविसयं पण्णत्तं ' मध्यमिश्र सलाभां पशु मे सो १०० हेवियो उही छे. 'बाहिरियाए परिसाए एगं देविसय पन्नत' माह्य परिषहाभां પણ એક સેા દેવિયા કહી છે.
હવે આ ઉપ૨ાક્ત સઘળા દેવ દેવિયાની સ્થિતિનું કથન કરવામાં આવે છે. 'कालस्स णं' इत्यादि
'कालस्स णं भंते । पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमार रायस्स अब्भिंतरियाए
જીવાભિગમસૂત્ર