Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३सू.५० ज्योतिष्कदेवानां विमानादिकम् _____७८९ प्रज्ञप्ताः-कथिता इति पर्षत्संख्या विषयकः प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा!' हे गौतम ! 'तिन्नि परिसाओ पन्नत्ताओ' तिस्रः त्रिसंख्यकाः पर्षदः प्रज्ञप्ता कथिता इति । 'तं जहा' तद्यथा-'तुंबा तृडिया पेच्चा' तुम्बा त्रुटिता प्रेत्या, तत्र -'अभितरिया तुंवा' आभ्यन्तरिका तुम्बा, 'मज्झिमिया तुडिया' माध्यमिका त्रुटिता, 'बाहिरिया पेच्चा' बाह्या प्रेत्या 'सेसं जहा कालस्स परिमाणं ठिई विशेष यथा कालस्य परिमाणं परिषत्त्रयस्थित देवदेवीनां संख्यापरिमाणं तथा तत्रस्थ देवदेवीनां स्थितिरपि तयैव वाच्या, 'अट्टो जहा चमरस्स' अर्थों यथा चमरस्स-अर्थः 'से केण टेणं' इत्यादि रूपोऽर्थश्चमरवदत्रापि वाच्यः, पर्षदःअभ्यन्तरिकादि नामकरणे यो हेतुः प्रदर्शितश्वमरेन्द्र प्रकरणे तथेहापि ज्ञातव्यः । 'चंदस्स वि एवं चेव' चन्द्रस्यापि एवमेद, सूर्यस्य पर्षदादिकं यथा कथितं तथा चन्द्रस्यापि तथैव ज्ञातव्यमिति ।।मू०५०॥ के उत्तर में प्रभुओ कहते हैं-'गोयमा ! तिणि परिसाओ पण्णत्ताओ' हे गौतम ज्योतिषेन्द्र ज्योतिषराज सूर्यकी तीन परिषदाएं कही गई है। 'तं जहां' जो इस प्रकार से है-'तुबा, तुडिया, पेच्चा' तुम्बा, त्रुटिता,
और प्रेत्या, इन में 'अभितरिया तुंबा, मज्झमिया तुडिया वाहिरिया पेच्चा' तुम्बा नामकी परिषदा आभ्यन्तर परिषदा कही गई है रिता नामकी परिषदा मध्यमिका परिषदा कही गई है । और प्रेत्यानाम की परिषदा बाह्यापरिषदा कही गई। 'सेसं जहा कालस्स परिमाणं ठिई वि' जिस प्रकार से काल की सभा के देवों का एवं देवियों का परि माण-संख्या और उनकी स्थितिका कथन किया गया है। वैसा ही यहां समझ लेना चाहिए 'अट्ठो जहा चमरस्स' चमर के प्रकरण में इन सभाओं के नाम होने में हेतु प्रदर्शित किया गया है-वही सब कथन
गोयमा ! तिणि परिसाओ पण्णत्ताओ' है गौतम ! ज्योतिषन्द्र ज्योतिष २४ सूर्य नी १५ परिषदाय। ४३ छ. 'त जहा' ते मा प्रमाणे छ. 'तुंबा, तुडिया, पेच्चा' तुम्मा, त्रुटित। सने प्रेत्या तमा 'अभितरिया तु बा, मज्झमिया तुडिया बाहिरिया पेच्चा' मा तुना परिहाने मान्यत२ परिषही हे छ. ત્રુટિતા નામની પરિષદાને માધ્યમિકા પરિષદા કહી છે. અને પ્રત્યા નામની परिषहाने माझा परिषदा ४३ छे. 'सेस' जहा कालस्स परिमाणं ठिई विरे પ્રમાણે કાળની સભાના દેવ અને દેવિયેનું પરિમાણ, સંખ્યા અને તેઓની સ્થિતિનું કથન કરવામાં આવેલ છે, એજ પ્રમાણેનું કથન અહીયાં પણ સમજી सव. 'अटो जहा चमरस्स' यभरना ५४२४मा मा समासाना नामे पाना સંબંધમાં કારણે બતાવેલ છે, એજ પ્રમાણેનું તમામ કથન અહીયાં પણ
જીવાભિગમસૂત્ર