Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे हन्त गौतम ! जानाति पश्यति विशुद्ध लेश्याकतया यथावस्थित वस्तुविषयकज्ञानदर्शन सद्भावादिति । 'जहा-अविशुद्धलेरसेणं आलावगा एवं विशुद्ध लेस्सेण वि छ आलावगा भाणियव्वा' यथा-येन प्रकारेण विशुद्धले श्यस्य षट् प्रकारका आलापकाः कथिताः, एवं विशुद्धलेश्येनापि षट् प्रकारका आलापका भणितव्याः, कियत्पर्यन्त. मालापका भगितच्यास्तत्राह 'जाव' इत्यादि, 'जाव विशुद्ध लेस्सेणं भंते ! अणगारे' यावद् विशुद्ध लेश्य खलु भदन्त ! अनगार : 'समोहया समोहएणं अप्पाणेणं' सम. वहता समवहतेन आत्मना 'विशुद्ध लेस्सं देवं देवि अणगारं जाणइ पासइ'विशुद्ध ले श्यं देवं देवि मनगारं जानाति पश्यति सामान्यविशेषाभ्यामिति प्रश्नः, भगजानता देखता है ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैं 'हंता जाणइ पासई' हां, गौतम ! ऐसा वह साधु-अनगार कृष्णदि लेश्या वाले देव को देवी को तथा अनगार को जानता देखता है। क्योंकि उसके ज्ञान में यथार्थ वस्तु प्रदर्शकता का सद्भावकारक लेश्या की विशुद्धि है और वह विशुद्धि उस साधु के ज्ञान में वर्तमान है 'जहा अविशुद्धलेस्से गं
आलावगा एवं विशुद्धलेस्से ण वि छह आलावगा भाणियवा' जिस प्रकार से अविशुद्ध लेश्या वाले साधु के सम्बन्ध में पूर्वोक्त रूप से छह प्रकार के आलापक कहे गये हैं इसी प्रकार से छह आलापक विशुद्ध लेश्या वाले साधु के सम्बन्ध में भी कह लेना चाहिये कहां तक जानना चाहिये सो कहते हैं 'जाव' यावत् अंतिम आलापक तक अन्तिम आलापक इस प्रकार से है-'विशुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे समोहया समोहएणं अप्पाणेणं विशुद्धलेस्स देवं देवि अणगारंजाणइ पासइ' हे
हे छे , 'हता जाणइ पासई' छ। गौतम! वो ते साधु मगार शाह લેશ્યાવાળા દેવને દેવીને તથા અણગારને જાણે છે. અને દેખે છે. કેમકે તેના જ્ઞાનમાં યથાર્થ વસ્તુપ્રદર્શક્તાના સદૂભાવ કારક લેશ્યાની વિશુદ્ધિ છે. भने त विशुद्धि त साधुना ज्ञानमा वर्तमान छे. 'जहा अविसुद्धलेस्सेण आला. वगा एवं विसुद्धलेस्सेण वि छह आलावगा भाणियव्वा' ने प्रमाणे मविशुद्ध લેશ્યાવાળા સાધુના સંબંધમાં પૂર્વોક્ત પ્રકારથી છ પ્રકારના આલાપકો કહેવામાં આવ્યા છે. એ જ પ્રમાણે વિશુદ્ધ લેશ્યાવાળા સાધુના સંબંધમાં પણ છે આલાપક સમજી લેવા જોઈએ તે આલાપકે ક્યાં સુધી સમજવા તે બતાવવા માટે કહે છે “વાવ' યાવત્ અંતિમ આલાપક સુધી એ પદ મૂકેલ છે અર્થાત્ છેલ્લા આલાપક સુધીના સઘળા આલાપકે સમજવા છેલો આલાપક मा प्रमाणे छ. 'विसुद्धलेस्सेणं भंते अणगारे समोहया समोहएणं अप्पाजेणं विसुद्धलेस्सं देवं देवं अणगारं जाणइ पासई ३ लावन् विशुद्ध वेश्यावाणी
જીવાભિગમસૂત્ર