Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे
सुकाल:- उपद्रवादि रहितः कालः 'दुक्कालाई वा' दुष्काल इति घान्सोपद्रवः कालः, 'सुभिक्खाइ वा' सुभिक्ष इति वा, सस्यादिनिष्पत्तिरूप:, 'दुभिक्खाइ वा' दुर्भिक्ष इति वा सस्याद्यभावरूपः, 'अप्परधार वा' अल्पार्य इति वा अल्पमूल्येन वस्तुप्राप्तिः, 'महग्घाइ वा ' महार्घ इति वा, बहुमूल्येन वस्तुप्राप्तिः 'कयाइ वा' क्रयःक्रयणकमिति वा, मूल्येन वस्तुनः आदानम् 'महाविक्कयाइ वा ' महाविक्रयः - महाविक्रयणकमिति वा, बहुमूल्येन वस्तुनः प्रदानम् 'सणिहीई वा' सन्निधिरितिवा 'संचयाइ वा' संचय इति वा, सत्यपि वस्तुनि पुनस्तस्य संग्रणम्, 'निधीइ वा ' निधिरिति वा, बहुमूल्यवस्तुस्थापनम् 'निहाणाइ वा' निधानमिति वा, भूम्याद्यन्तः स्थापितधनादिकम् 'चिरपोराणाइ वा' चिरपुराणमिति वा, चिरप्रतिष्ठितत्त्वेन पुराणं विरकालस्थापितम् । अतएव 'पहीणसामियाइ वा' प्रहीणस्वामिकमिति वा प्रहीण:होती हैं और वृष्टि में घनी वृष्टि होती है इसी तरह 'सुकालाइ वा ' उस एकोरुक द्वीप में सुकाल रहता है या 'दुक्कालाइ वा' दुष्काल होता है । 'सुभिक्खाइ वा' सुभिक्ष धान्यादि की निष्पत्ति रूप होता है या 'दुभिकखाइ वा' दुर्भिक्ष धान्यादि की निष्पत्ति का अभाव रूप होता है । 'अप्परधाइ वा' वस्तुऐं अल्प मूल्य में मिलती है ? 'महग्घाइ वा ' बहुत मूल्य में मिलती है ? 'कयाइ महाविक्कयाइ वा' वहां वस्तुओं की खरीदी होती है ? या बहुत अधिक विक्री होती है ? 'सणेहीइ वा ' लोगों के वहां भोग्य पदार्थों का संग्रह होता है ? 'संचयाइ वा' वहां के लोग वस्तुओं के होते हुए फिर आगे के लिये संचय करते है ? 'निधी वा' बहुमूल्य वस्तुओं का संग्रह होता है ? 'निहाणातिवा' लोग वहां द्रव्य को जमीन में गाढकर रखते है ? 'चिरपोराणाइ वा' वहां पर लोग ગ્રહણ કરાયા છે. વર્ષાકાળમાં સામાન્ય રીતે વરસાદ થાય છે? અને વર્ષો अजमा वधारे प्रभाशुथी वरसाह थाय छे ? करीते 'सुकालाइवा' से थे। ३४ द्वीपमा सुझा रहे छे ? अथवा 'दुक्कालाइवा' दुष्डाण होय छे ? 'सुभिक्खाइवा धान्याहिनी उत्पत्ति ३५ सुमज होय छे ? 'दुभिक्खाइवा' धान्याहिनी उत्पत्तिना मलाव३य हुआज होय छे ? 'अप्पग्धाइवा' वस्तु मध्य भूल्यथी सोंधी भजे छे ? अथवा 'महग्घाइवा' महुभूस्यथी (भोंधी) भजे छे ? 'कयाમાવિળયાવા ત્યાં વસ્તુએની ખરીદી થાય છે? અથવા વધારે પ્રમાણથી वेयाश थाय छे ? 'सण्णेहीइवा' बोडी त्यां लेोग्य पार्थोनी संग्रह ४२ छे ? 'संचयाइवा' त्यांना सो वस्तु होवा छतां लविष्य माटे संयय ४२ छे १ 'निधीइवा अधिक भूझ्यवाजी वस्तुनो संग्रह थाय छे ? 'निहाणातिवा' त्यां बोडी धनने भीनमां छोटे छे ? ' चिरपोराणाइवा त्यांना बोने यांसे
જીવાભિગમસૂત્ર