Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र. ३ उ. ३. सू. २५ तिर्यग्योनिस्वरूपनिरूपणम्
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ज्जतसुहुम पुढवीकाइय एर्गिदियतिरिक्खजोणिया' अपर्याप्त सूक्ष्म पृथिवीकायिकैकेन्द्रिय तिर्यग्योनिकाः तथा च पर्याप्तापर्याप्तभेदेन सूक्ष्म पृथिवीकायिकै केन्द्रियतिर्यग्योतिका द्विविधा भवन्तीति । 'से तं सुहमपुढवीकाइय एगिदियतिरिक्खजोणिया ' ते एते सूक्ष्म पृथिवीकायिकै केन्द्रिय तिर्यग्योनिकाः सभेदं निरूपिता इति । सूक्ष्म पृथिवीकायिकैकान् निरूप्य बादरपृथिवीकायिकान् निरूपयितुं प्रश्नयन्नाह - 'से किं' इत्यादि' से किं तं बादर पुढवीकाइय एर्गिदिय तिरिक्खजोणिया ' अथ के
बादर पृथिवी कायिकै केन्द्रिय तिर्यग्योनिका, बादर पृथिवीकायिकै केन्द्रिय तिर्यग्यो निकानां कियन्तो भेदा इति प्रश्नः, उत्तरयति - ' बायर पुढवीकाइय एर्गिदिय तिरिक्खजोणिया दुबिहा पन्नत्ता' बादर पृथिवीकायिकै केन्द्रिय तिर्यग्योनिका : द्विविधाः - द्विप्रकारकाः प्रज्ञप्ता - कथिता इति । 'तं जहा' तद्यथा - 'पज्जत बायरपुढवीकाइय एर्गिदिय तिरिक्खजोणिया पर्याप्तबादर पृथिवीकायिकै केन्द्रिय तिर्यग्योनिकाः, तथा 'अपज्जत बायर पुढवीकाइय एर्गिदिय तिक्खिजोणिया ' अपर्याप्त प्रकार से सूक्ष्य पृथिवी कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीवों के सम्बन्ध में सूत्रकार ने कथन किया है ।
अब बादर पृथिवी कायिकों का कथन करते हैं - इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है - 'से किं तं बायर पुढवीकाइय एगिंदिय तिरिक्खजोणिया ' हे भदन्त ! बादर पृथिवीकाधिक एकेन्द्रिय जीव कितने प्रकार के हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'बायर पुढवी काइय एगिंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पत्ता 'हे गौतम! बादर पृथिवी कायिक एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक जीव भी दो प्रकार के कहे गये हैं- 'तं जहा' - जैसे- 'पत्तवायर पुढवी काइय एगिंदिय तिरिक्खजोणिया पार्याप्त बादर पृथिवीकायिक एकेसूक्ष्म पृथ्वी डायिक येऊ इंद्रियवाणा तिर्यग योनिङ अने 'अपज्जत सुम ०. ' अपर्याप्त सूक्ष्म पृथ्वी अयि मे द्रियवाजा तिर्यग्योनि 'से त' सुहुम ० ' આ પ્રમાણે સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિક એક ઈંદ્રિયવાળા તિય ચૈાનિક જીવાના સંબંધમાં સૂત્રકારે કથન કર્યુ છે.
હવે બાદર પૃથ્વીકાયિકાનું કથન કરવામાં આવે છે. આમાં શ્રીગૌતમ स्वामी अनुश्रीने वु' पूछयु छे. हे 'से किं त्त' बायरपुढवीकाइय एगिंदिय तिरिक्खजीणिया' जाहर पृथ्वीडो इंद्रियवाजा को डेंटला अकारना छे ? या प्रश्नना उत्तरमा प्रभुश्री हे छे 'वायर पुढवीकाइय एगिदिय तिरिक्खजोणिया दुविहा पन्नत्ता' हे गौतम! महर पृथ्वी अयि मे द्रियवाजा तिर्यग्योनिः भवेो यशु मे प्राश्ना वामां आया है. 'त' जहा' ते मे हा भाप्रमाणे छे. 'पज्जत बायर पुढवीकाइय एगि दियतिरिक्खजोणिया ' पर्यास
જીવાભિગમસૂત્ર