Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३सू.२८ स्वस्तिकादि विमाननिरूपणम् ४४३ सप्त-नव-नव-गुणं क्रमेण कर्तव्यम्, इति । पूर्वोक्तं क्षेत्र कियत्परिमितं भवेदित्याह'सीयालीससहस्सा' इत्यादि, सप्त-चत्वारिंशत्सहस्राणि, द्वेशते, योजनानि एकस्य योजनस्यैकविशति स्त्रिषष्टिभागाः (४७२६३३३) इयत्परिमितं भवति , तत्तु कदा भवतीत्याह-'कक्कडमाइम्मि' कर्कटादौ कर्कसंक्रान्ते रादौ प्रथमदिने भवति जम्बूद्वीपे सर्वाभ्यन्तरमण्डले गते सूर्ये सर्वोत्कृष्ट दिवसे 'पेच्छनरा' मनुष्याः सूर्यप्रेक्षन्ते 'एयं दुगुणं काउ' एतत् क्षेत्रं द्विगुणं कृत्वा उदय-क्षेत्र मस्तक्षेत्र चेति द्वयमाश्रित्य प्रत्येकावकाशान्तरापेक्षया क्रमशः 'तिपण सत्तमाईहि' त्रि-पश्च
जितने दूर क्षेत्र में पूर्व दिशा में सूर्य उगता है और जितने दर क्षेत्र में पश्चिमदिशा में सूर्य अस्त होता है उतने प्रमाण के दोनों क्षेत्रों में प्रत्येक क्षेत्र को 'तिपण सत्तनव गुणं' अर्थात् क्रम से तीन पांच सात और नव से गुनाना चाहिये, वह पूर्वोक्त सूर्योदय और सूर्यास्त के अन्तरालका क्षेत्र कितना होता है जिसकी तीन आदि से गुनाया जाय उस क्षेत्र का प्रमाण इस प्रकार है 'सीयालीससहस्सा' इत्यादि, सेंतालीस हजार दो सौ तेसठ योजन और एक योजन के इक्कीस साठिया भाग (४७२६३११) एक सूर्योदय और सूर्यास्त में एक क्षेत्र का प्रमाण हुआ। यह प्रमाण कब होता है उसके लिये कहते है-'कक्कडमाइम्मि' कर्क, संक्रान्ति के आदि प्रथम दिन में सूर्य जब सर्वाभ्यन्तर मण्डल में प्रवेश करता है उस समय सर्वोत्कृष्ट-सब से बडा दिन होता है उस दिन सूर्योदय सूर्यास्त के क्षेत्र का इतना प्रमाण होता है । 'एयं दुगुणं काउ' अर्थात् इस उदय क्षेत्र और अस्त क्षेत्र ये दो होने से उपर्युक्त क्षेत्र को જેટલે દૂરના ક્ષેત્રમાં પૂર્વ દિશામાં સૂર્ય ઉગે છે. અને જેટલા દૂરના ક્ષેત્રમાં પશ્ચિમ દિશામાં સૂર્ય આથમે છે. એટલા પ્રમાણના બન્ને ક્ષેત્રમાં દરેક क्षेत्र 'तिपणसत्तनव गुणं' अर्थात् मथा , पाय, सात, भने नया ગુણવા જોઈએ આ પૂર્વોક્ત સૂર્યોદય અને સૂર્યાસ્તના અંતરાલનું ક્ષેત્ર કેટલું હોય છે? જેને ત્રણ વિગેરેથી ગણવામાં આવે એ ક્ષેત્રનું પ્રમાણ આ પ્રમાણે छे. 'सीयालीससहस्सा' त्यात सुतावास २ पसे प्रेस यान भने એક યોજનના એકવીસ સાઠિયા ભાગ (૪૭૨૬૩૨) એક સૂર્યોદય અને સૂર્યાસ્તમાં એક ક્ષેત્રનું પ્રમાણ થયું. આ પ્રમાણે કયારે થાય છે? તે સંબંધમાં इहे छ 'कक्कड़माइम्मि' ४४, संन्तिना पड हिवसे सूय न्यारे साल्यातर મંડલમાં પ્રવેશ કરે છે, તે વખતે સર્વોત્કૃષ્ટ અર્થાત્ સૌથી મોટો દિવસ હોય 2. से सूहिय सूर्यास्तना क्षेत्रनु सरयु प्रमाण छ 'एय' दुगुण काउ' અર્થાત આ ઉદયક્ષેત્ર અને અસ્તક્ષેત્ર આ બે હોવાથી ઉપરક્ત ક્ષેત્રને બમણું
જીવાભિગમસૂત્ર