Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे
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तीतानि विसदृशकरणे असंख्येयकरणे वा तादृशशक्तेरभावादिति तानि पुनः -संबदाइ नो असंबद्धाइ, संबद्धानि स्वात्मनः शरीरसंलग्नानि न असंबद्धानि स्वशरीरात् पृथग्भूतानि स्वशरीरात् पृथग्भूतकरणे सामर्थ्याभावादिति 'सरिसाई नो असरसाइ" सहशानि-स्वशरीर तुल्यानि नो असदृशानि विरूपाणि विरूपकरणे सामर्थ्याभावात् 'विउव्वंति' विकुर्वन्ति 'विउच्चित्ता' विकुर्वित्वा 'अण्ण मष्णस्स' अन्योऽन्यस्य ' कार्य अभिहणमाणा अभिहणमाणा' कार्य- शरीरम् अभिनन्तोऽमें समर्थ होते हैं 'ताई संखेज्जाई नो असंखेज्जाई' ये मुद्गरादि रूपों से लेकर भिण्डिमाल तक के रूपों की जो नारक विकुर्वणा करते हैं वे संख्यात रूपों की विकुर्वणा करते हैं असंख्यात रूपों की विकुर्वणा नहीं करते हैं - अर्थात् नारक के अनेक रूपों की जो नारक विकुर्वणा करते हैं वे उनके विकुर्वित रूप संख्यात ही हो सकते है- असंख्यात नहीं होते
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क्योंकि असंख्यात रूपों को विकुर्वित करने की उनमें शक्ति नहीं होती हैं 'संबद्धाई नो असंबद्धाई' ये विकुर्वित हुए रूप उन नारक जीवों के शरीर से संबद्ध होते हैं 'नो असंबद्धाई' असंबद्ध नहीं होते हैं । अर्थात् शरीर से अलग नहीं होते हैं। क्योंकि शरीर से पृथक् भूत करने में उनमें सामर्थ्य का अभाव रहता हैं- 'सरिसाइं नो असरिसाई' ये उनके द्वारा विकुर्वित किये रूप उनके ही होती शरीर के तुल्य होते हैं असदृश - विरूप नहीं होते हैं क्योंकि विरूप करने की उनमें शक्ति का अभाव है ' विव्वित्ता अण्णमण्णस्स कार्य अभिहणमाणा अभिहणमाणा वेयणं
वृणा डेरी शहुवामां समर्थ होय छे. 'ताई संखेज्जाई नो असंखेज्जइं' मा મુદૂગર વિગેરેથી લઈને ભિ'ડિપાલ સુધીના રૂપાની જે નારકા વિધ્રુવ ણા કરી શકવામાં સમથ હોય છે, તેઓ સખ્યાત રૂપાની વિષુવČણા કરે છે, અસંખ્યાત રૂપાની વિકુણા કરતા નથી. અર્થાત્ જે નારક અનેક રૂપાની વિકુણા કરે છે. તે તેઓએ વિક્રુતિ કરેલા રૂપે સખ્યાત જ હેાય છે. અસંખ્યાત હતા નથી કેમકે અસ ંખ્યાત રૂપાની વિક્`ણા કરવાની તેઓમાં શકતી જ હાતી नथी. 'संबद्धाई नो असंबद्धाई' मा विभुर्वित वामां आवेला ३थे। थे नार वोना शरीरथी संसद्ध होय छे. 'नो असंबद्धाई' असद्ध होता नथी. અર્થાત્ શરીરથી જુદા હાતા નથી. કેમકે શરીરથી જુદા કરવામાં તેઓમાં साभार्थ्यांना मलाव रहे छे. 'सरिसाइ' नो असरिसाइ" या तेथे द्वारा विभुर्वित કરવામાં આવેલા રૂપે તેમનાજ પેાતાના શરીરાની ખરાખર હાય છે. અસદૃશ विज्ञेय होता नथी. डेभडे विपरवानी तेथे मां शक्तिनो अलाव छे. 'विउच्चित्ता
જીવાભિગમસૂત્ર