Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
________________
३८०
जीवाभिगमसूत्रे टीका-'से किं तं तिरिक्खजोणिया' अत्र 'से' शब्दोऽथार्थकः किंशब्दः प्रश्ने तथाच-अथ के ते तिर्यग्योतिकाः, तिर्यग्योतिकानां कियन्तो भेदा इति प्रश्नः भगवानाह -'तिरिक्खजोणिया पंचविहा पन्नता' तिर्यग्योतिकाः पञ्चविधाः प्रज्ञप्ताः, 'तं जहाँ' तद्यथा 'एगिद्रियतिरिक्खजोणिया' एकेन्द्रिय तिर्यग्योतिकाः। 'बेइं. दियतिरिक्खजोणिया' द्वीन्द्रियतिर्यग्योतिका । तेइंदियतिरिक्खजोणिया' त्रीन्द्रियतिर्यग्योतिका । 'चउरिदियतिरिक्खजोणिया' चतुरिन्द्रियतिर्यग्यो. निकाः 'पंचिंदियतिरिक्खजोणिया' य' पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योतिकाच, तथाच-एके. न्द्रिय द्वीन्द्रिय त्रीन्द्रिय चतुरिन्द्रिय पञ्चेन्द्रिय भेदात् तिर्यग्योतिकाः पञ्च. प्रकारका भवन्तीति । एकेन्द्रिय तिर्यग्योतिकाः कियन्त इति ज्ञातुं पश्नयबाह'से कि तं' इत्यादि, 'से कि तं एगिद्रियतिरिक्खजोणिया' अथ के ते एकेन्द्रि
नरकाधिकार कह कर अब सूत्रकार तिर्यगाधिकार का कथन करते हैं'से किंतं तिरिक्खजोणिया'-इत्यादि । सूत्र ॥२४॥
टीकार्थ-यहां 'से' यह शब्द 'अर्थ' 'अर्थ' में प्रयुक्त हुआ है इस तरह गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है हे भदन्त ‘से किं तं तिरिक्खजोणिया' तिर्यग्योनिकों के कितने भेद हैं ? उत्तर में प्रभु ने कहा है-'तिरिक्खजोणिया पंचविहा पण्णत्ता' हे गौतम! तिर्यग्योनिकों के पांच भेद कहे गये हैं 'तं जहा' जैसे-'एगिदियतिक्खजोणिया, बेइंदिय तिरिक्खजोणिया' एकेन्द्रिय तिर्यग्योनिक दो इन्द्रिय तिर्यग्योनिक, 'ते इंदिय तिरिक्ख.' तेइन्द्रिय तिर्यग्योनिक'चरिंदियतिरि०' चौइन्द्रिय तिर्यग्योनिक 'पंचिंदियति०' और पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिक, 'से कि तं एगिदियति०' हे
ચોથા ઉદેશાને પ્રારંભનરકાધિકાર કહીને હવે સૂત્રકાર આ તિય"ચના અધિકારનું કથન કરે છે, 'से कि त तिरिक्खजोणिया' त्याह
टी----मडिया से' श७४ 'अथ' 4 भां प्रयुत प्ये छ. मा शत गौतमस्वामी प्रभुने सयु ५ यु छ है भगवन् 'सेकिं तं तिरिक्ख - जोणिया' तिय-योनिन 21 हे! 3ा छे ? ५॥ प्रशन उत्तरमा प्रभुश्री गौतमत्वामीने ४ छ, 'तिरिक्खजोणिया, पंचविहा पण्णत्ता' है गौतम तिय य योनिओन यांय लेह छ. 'त जहा' ते 40 प्रमाणे छे. 'एगिं दियतिरिक्खजोणिया, बेइंदियतिरिक्खजोणिया' द्रियाणा तियय। नि भने मेद्रियाणा तिययोनि 'तेई दियतिरि.' द्रियावा तिय-यानि 'चउरि दियतिरि.' या२ द्रियोवाय तिय योनि 'पंचिंदिय ति०' અને પાંચ ઈદ્રિવાળા તિર્યનિક.
જીવાભિગમસૂત્ર