Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जीवाभिगमसूत्रे प्रस्तटवर्तिनां नारकाणां कापोतलेश्याकत्वात् तेषां चातिभूयस्कत्वादिति । 'जे नीललेस्सा तो पन्नत्ता ते थोवा' ये नीललेस्सावन्तः प्रज्ञप्तास्ते स्तोकाः कापोतले. श्यापेक्षया न्यूना इति । 'पंकप्पभाए पुच्छा' पङ्कप्रभायां पृच्छा हे भदन्त ! पङ्कप्रभा पृथिवी नारकाणां कतिलेश्या भवन्तीति पृच्छया संगृह्यते इति प्रश्ना, भगवानाह'गोयमा' हे गौतम ! 'एक्का नीललेस्सा पन्नत्ता' एका नीललेश्या पङ्कप्रभा नारकाणां भवति, सा च तृतीय पृथिवीगत नीललेश्यापेक्षया अविशुद्धतरा भवतीति । 'धूमप्पभाए पुच्छा' धूमप्रभायां पृच्छा हे भदन्त ! धूमप्रभा नारकाणां कतिलेश्या भवन्तीति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि, 'गोयमा' हे गौतम ! 'दो लेस्साओ पनत्ताओ' द्वे लेश्ये प्रज्ञप्ते 'तं जहा' तद्यथा-'किण्हलेस्साय नील. लेस्साय' कृष्णलेश्या च नीललेश्या च 'ते बहुतरगा जे नीललेस्सा' ते बहुतरा कापोत लेश्या होती हैं और ये उपरितन प्रस्तटवर्ती नारक अधिक हैं। तथा 'ये नीललेश्यावन्तः' जो नारक यहां नीललेश्या वाले हैं वे कापोत लेश्यावालों की अपेक्षा न्यून-कम हैं- पंकप्पभाए पुच्छा' हे भदन्त ! पङ्कप्रभा पृथिवी के नारकों के कितनीलेश्याएं होती है ? इस प्रश्न के उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! एक्का नीललेश्यापन्नत्ता 'हे गौतम पङ्कप्रभा के नारकों के केवल एक नील लेश्या ही होती हैं । वह तीसरी पृथिवी की नीललेश्या की अपेक्षा अविशुद्ध होती है ! 'धूमप्पभाए पुच्छा' हे भदन्त ! धूमप्रभा के नैरयिकों के कितनी लेश्याएं होती हैं ? 'गोयमा' हे गौतम। धूमप्रभा के नैरयिकों के 'दो लेस्साओ पन्नात्ताओं' 'दो लेश्याएं होती हैं। 'तं जहा' जैसे 'किण्हलेस्साय नीललेश्या य' कृष्ण લેશ્યાવાળા હોય છે, તેઓ વધારે છે, કેમકે ઉપરના પ્રસ્તટમાં રહેવાવાળા નારકેને કાપાત લેશ્યાજ હોય છે. અને તેવા આ ઉપરના પ્રસ્તટમાં રહેવાવાળા ना। मधिः छ. तथा 'ये नीललेश्यावन्तः' रे ना२। नर सेश्यावा હોય છે, તેઓ કાતિલેશ્યાવાળા નારકની અપેક્ષાએ ન્યૂન–ડા છે.
'पंकप्पभाए पुच्छा' हे सगवन् ५४५मा पृथ्वीना ना होने की सश्यामे। हाय छे ? म प्रश्न उत्तरमा प्रभु ४ छ 'गोयमा! एक्का नील लेस्सा पन्नत्ता' है गौतम ! ५४मा पृथ्वीना नारीने वण से नीस वेश्या હોય છે. અને તે ત્રીજી પૃથ્વીની નીલ ગ્લેશ્યાની અપેક્ષાએ અવિશુદ્ધ હોય છે. 'धूमप्पभाए पुच्छा' है भगवन् मप्रमा पृथ्वीना नैरथिने डेटही सेश्याम होय छे ? उत्तरमा प्रभु ४ छ , 'गोयमा है गौतम! धूमप्रमा पृथ्वीना नैयिाने 'दो लेस्साओ पण्णत्ताओ' मे श्यामे। ही छे. 'तजहा' त मे सेश्याम मा प्रभारी छे. 'किण्हलेस्सा य नीललेस्सा य' से लेश्या भने
જીવાભિગમસૂત્ર