Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 14 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
sheefront door ० २० उ०७ सू० १ बन्धस्वरूपनिरूपणम्
४७
6
द्वैमानिकस्त्री वेदस्यापि त्रिविधो बन्धो ज्ञातव्य इति । 'नवरं जस्स इत्थी वेदो अस्थि' नवरं यस्य स्त्री वेदोऽस्ति तस्य स्त्रीवेदस्य बन्धो वक्तव्यो नान्यस्येत्यर्थः । ' एवं पुरिसवेयस्स वि णपुंसगवेयस्स वि' एवम् एवमव स्त्रीवेदवदेव पुरुषवेदस्य तथा नपुंसक वेदस्यापि त्रिविधो बन्धो ज्ञातव्य इति । 'जात्र वैमाणियाणं' यावद् वैनिकानाम् स्त्रीवेदपुरुषवेदनपुंसक वेदानां त्रिप्रकारको बन्धो ज्ञातव्यः सर्वेषामेव संबन्धिनां स्त्रीपुंनपुंसकवेदानां त्रिपकारको वन्धः प्ररूपणीय इत्यर्थः, विशेषस्तु एतावान् यदुदयस्य जीवस्य यादृशो वेदो भवति तस्यैव जीवस्य संबन्धिताशवेदस्य बन्धो निरूपणीयः, एतदेव कथयति 'णवरं' इत्यादि, 'णवरं जस्स जो अस्थि वेदो' नवरं यस्य जीवस्य यो वेदोऽस्ति तस्यैव जीवस्य संबन्धि वेदअसुरकुमारदेवों के जैसा स्त्रीवेद बंध तीन प्रकार का कहा गया है, उसी प्रकार से यावत् वैमानिक देवों के भी स्त्रीवेद बंध तीन प्रकार का होता है ऐसा जानना चाहिये 'नवरं जस्स इत्थीवेदो अस्थि' देवों के स्त्रीवेद का बंध नहीं होता है देवियों के होता है इसलिये यह स्त्रीवेद बंध देवियों के ही कहना चाहिये अन्यको नहीं । ' एवं पुरिसवेधस्स वि
पुंगवेयस्स वि' इसी प्रकार से पुरुषवेद बंध और नपुंसकवेद बंध भी तीन प्रकार का होता है ऐसा समझ लेना चाहिये यह स्त्रीवेद, पुरुषवेद और नपुंसक वेद का तीन प्रकार का बंध यावत् वैमानिक जीवों तक को होता है नपुंसक वेद का बंध देवों को नहीं होता है इसलिये 'नवरं जस्स जो अस्थि वेदो' ऐसा कहा गया है कि जिस जीव को जो वेद का बंध होता है उस जीव को वह वेद का बंध तीन प्रकार का होता है मनुष्यगति में तीनों वेदों का सद्भाव होता है अतः यहां पर तीनों वेदों का बंध तीन प्रकार का होता है, देवगति में नपुंसकवेद को
ખંધ ત્રણ પ્રકારથી કહેલ છે, એજ રીતે યાવત્ વૈમાનિક દેવને પણ સ્ત્રીવેદ अंध अारना होय छे. तेभ समभवु ' नवर' जस्स इत्थीवेदो अस्थि' દેવેને વેદના અધ થતા નથી દેવીયાને સ્ત્રીવેદના બંધ થાય છે. તેથી या खीवेह अध हेवीयाने वा अन्य देवाने नहि ' एवं पुरिसवेयरस वि पुंगवेयस्स वि' मेन रीते पुरुषवेह गंध अने नपुंसह अध पशु त्र प्रहारनो थाय छे, तेभ समल सेवु. या स्त्रीवेह, पुरुषदेह, मने नयुं - સકવેદના ત્રણે પ્રકારને ખંધ યાવત્ વૈમાનિક સુધીના જીવાને થાય છે. नथुसवेना 'घ देवाने होतो नथी तेथी 'नवरं जस्त्र जो अत्थि वेदो' એ પ્રમાણે કહેલ છે કે જે જીવને જે વેદના અધ થાય છે, તે જીવને તે વેદના બધ ત્રણ પ્રકારથી થાય છે. મનુષ્યગતિમાં ત્રણે પ્રકારના વેદોના સદ્
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૪