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परमपमहपरल
त्यागी क्रोधजिहाननायकः ॥६॥ गुरुत्वं कि' मतं नणामयाचा परमोत्सवाक' दारिद्रय महालोभो जीधित' कि यशस्विता ॥१४॥
को जागर्ति पुरुध्यानी का निद्रा जड़ता मता | नलिनीस्थजले स्तुल्यं किं चलं योधनं धनं ।। ६५ ॥ शशलक्ष्मकराभाः के निंदारितास्तु स. Ko जनाः । किशुभ्र ध्यन्यते मातः पारवश्य सुखातिगं ॥६६॥ किं सुखं विद्यते चात्र सर्वसंगबिर्जितं । कोऽलकार: शुभं शील' मंडन ।
है। प्रश्न-संसारमें जीवन क्या है ? उत्तर-यशस्वीपना-मनुष्य अपने आयुके अन्तमें नियमसे मर से
जाता है परन्तु उसका यश सदा काल ज्योंका त्यों बना रहता है। प्रश्न--संसारमें जागनेवाला 51 कौन कहा जाता है ? उत्तर जो महानुभाव परमध्यानी और संयमी हैं वहीं संसारमें जागनेवाला
है। प्रश्न-संसारमें निद्रा क्या चीज है ? उत्तर-मूर्खता--मूर्ख सदा सोता ही रहता है। प्रश्न-कमल | HO के पत्र पर रक्खी हुई जलकी बंदके समान चंचल पदार्थ संसार में क्या है ? उत्तर-यौवन और धन
प्रश्न-शशाके समान लक्षणोंके धारक और उसके समान छिपे हुए हाथोंसे युक्त संसारमें कौन है ?* - उत्तर-निन्दा रहित सज्जन अर्थात सज्जन पुरुष किसीकी भी निंदा नहीं करते और चुप रूपसे ।
दूसरेका उपकार करते हैं-हल्लाकर किसीका उपकार नहीं करते । प्रश्न-माता ! संसारमें साक्षात् नरक क्या माना जाता है ? उत्तर--परतन्त्रता जो कि स्वतंत्रता रूप सुखसे सर्वथा रहित हैं। प्रश्नसंसारमें सुख क्या चीज है। उत्तर-समस्त प्रकारके परिग्रहोंसे रहित रहना ही सुख है। प्रश्न-संसारमें भूषण क्या हैं ? उत्तर-शुभ शील और सत्यता ही निश्चल और अद्वितीय भूषण है । कड़ा कुण्डल आदि भूषण भूषण नहीं माना जा सकता। प्रश्न—संसारमें मित्र कौन है ? उत्तर-जो हितका शासन करनेवाला है। प्रश्न-कानोंसे रहितपना क्या है ? उत्तर-शास्त्र के सुननेका अभाव-अर्थात् | जो पुरुष आत्म हितकारी शास्त्र नहीं सुनता वह कानोंके रहते भी बधिर है। प्रश्न-संसारमें मरण
क्या है ? उत्तर----नाना प्रकारसे चित्तको संताप देनेवाली मूर्खता ही संसारमें मरण है। प्रश्न-ki - संसारमें ध्यान करने योग्य पदार्थ क्या है ? उत्तर--समस्त जीवोंको आनन्द प्रदान करने वाले
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