________________
मल
CO
御宿か
PAPREPA
राजघदूर्जितः । राजते रजनीशांशुरशाः शल्यं द्विषां महान् ॥ ४४ ॥ राजधान्यध पोलूनां वीराणामुग्रतेजसां । औरकट्य विद्यते भूमौ बाहुल्यादिषभृशं ॥ ४५ ॥ सहस्रप्रभा रामाः संति ग्लौमुखपंकजाः । पृथुस्तनतला मध्ये क्षामास्रस्य रतिप्रभाः || ४६ ॥ सुताः पंचशतान्यस्य वीरसेनादयो वभुः । मृगयासक्तचेतरूका योद्धारों रणकोविदाः || ४७ || प्रयाणसमये यस्य रारदन्ति महानकाः । एक लक्षप्रभा नूनं तावंतः पटहा हठात् ॥ ४८ ॥ विष्टरासीन माभाति धर्मतेजाः पुरन्दरः । शेषो या शैलराजः किं स राजा दुर्जयो
प्रचण्ड तेजके धारक अगणित वीरोंकी राज धानियां बाहुबलि आदिको राजधानियोंके समान पृथ्वीपर विद्यमान थीं। राजा ऐरावण के छह हजार रानियां थीं जो कि चन्द्रमाके समान मुखकमल की धारक थीं विशाल स्तनोंसे शोभायमान कृशोदरी और रतिके समान परम सुन्दरी थीं ॥ ४४४५ ॥ राजा ऐरावणके वीर सेन आदि पांचसौ पुत्र थे जो कि शिकार खेलने के बड़े शौकीन थे योद्धा थे एव संग्राम सम्बन्धी अनेक कलाओं के जानकार थे ॥ ४६ ॥ जिससमय राजा ऐराaunt किसी शत्रु आदिके प्रति प्रयाण होता था उससमय उसके आगे आगे एक लाख नगाड़ बजते थे तथा जिसप्रकार एक लाख नगाड़ े बजते थे उसीप्रकार एक लाख ही पटह जातिके बाजे बजते थे। वह ऐरावण नामका राजा जिस समय सिंहानपर बैठता था उससमय ऐसा जान पड़ता था कि सूर्य के समान तेजका धारक यह साचात् इन्द्र है वा शेषनाग और मेरुपर्वत है विशेष क्या वह राजा समस्त शत्रुओंके लिये दुर्जय था— कोई भी शत्रु उसे जीतनेके लिये समर्थ न था
॥। ४७४६ ॥
विजयार्द्ध पर्वतकी उत्तर श्रेणि में एक अलकपुर नामका नगर विद्यमान है। इस नगर का रक्षण करने वाला राजा महाकच्छ था और उसकी पटरानीका नाम दामिनी था। राजा महाकच्छके रानी दामिनीसे उत्पन्न एक प्रियंगुश्री नामकी कन्या थी जो कि सुन्दर रूपकी सीमास्वरूप थी— उससे
看板
AYAYAYAYS