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नैयनयनय
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तस्याः सर्वजंतुहितामताः । किं कर्तव्यं जयान्मातः संसृतेश्छेदनं ध्रुवं ॥ ५८ ॥ मोक्षभूरुहवीजं किं सम्यग्ज्ञानं च दर्शनं । किं पश्यं विदुषा मंत्र धर्मत्वं स्वर्गमोक्षदं ॥ ५६ ॥ कः शुचिर्मनसा शुद्धः पंडितः को विवेकवान् । किं विषं गुर्वसत्कारः किं सारं सुकुल मतं ॥ ६० ॥ मंदिरे किमस्त्यत्र स्नेहः के शत्रवोऽशुभाः । विषया दुर्जया लोके प्राणिनां घातिनो भृशं ॥ ६१ ॥ किं नियं याचनं लोके का मताविवरी । तृष्णा कस्माद्भयं मातमृत्युतः को विलोचनः ॥६२॥ रागी किं गहनं मातः ! स्त्रीचरित्र' सुदुस्तरं । कः शूरो ललना- होता है। प्रश्न – संसार में सार पदार्थ क्या है ? उत्तर-उत्तम कुलका पाना । प्रश्न- संसार में मदिरा किसे कहनी चाहिये ? उत्तर - श्री पुत्र आदि कुटुम्बके साथ मोह रखना ही मदिरा है। प्रश्नसंसार में बैरी कौन है ? उत्तर - अशुभ कर्म । प्रश्न- दुर्जय पदार्थ अर्थात् जिसका जीतना कठिन है ऐसा पदार्थ संसार में कौन है ? उत्तर:- इन्द्रियोंके विषय क्योंकि ये प्राणियोंके घात करनेवाले हैं। इनके फंदमें पड़कर प्राणी अपना हित नहीं पहिचान सकता ।। ५१- ६० ॥
प्रश्न--संसार में निंदित चीज क्या है ? उत्तर- किसी चीजका मागना मांगने के बराबर कोई भी निंदनीय चीज नहीं । प्रश्न – संसार में विषकी वेल क्या है ? उत्तर - तृष्णा । प्रश्न - संसार में डर किसका है ? उत्तर-- मृत्युका । सारा संसार मृत्युसे घबड़ाता है । प्रश्न--संसार में विलोचननेत्र हित कौन है ? उत्तर- जो पुरुष रागी है। प्रश्न- जिसका जल्दी पता नहीं पाया जा सकता ऐसा संसार में गहन पदार्थ क्या है ? उत्तर- स्त्रियोंका चरित्र अत्यन्त गहन है— विद्वानसे विद्वान भी उसका जल्दी पता नहीं पा सकता । प्रश्न – संसार में सबसे शूरबीर कौन है ! उत्तर - जो पुरुष स्त्रियोंका त्यागी है वही शरवीर है तथा जो क्रोधका त्यागी है और दानियों में प्रधान है वह भी शूरवीर है। प्रश्न- संसार में सबसे गौरव की बात क्या है ? उत्तर-- आनन्द प्रदान करनेवाली याचा अर्थात् किसी से कुछ न मांगना यही अत्यन्त आनन्दकी बात है । प्रश्न – संसार में दरिद्रता क्या कहलाती है। उत्तर- महा लोभपना जो पुरुष अत्यन्त लोभी है वही नितान्त दरिद्री
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