Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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सुचरित्रम्
5. चरित्र निर्माण व नैतिकता पर सम्पूर्ण बल : ईसाई धर्म (क्रिश्चिएनिटी) में अधिकांश साहित्य
चरित्र व नैतिकता से संबंधित है, जैसे कि गोस्पेल्स ऑव मेरी, ऑव पीटर, ऑव जेम्स आदि। प्रधान ग्रंथ बाइबिल है, जिसमें पुराने व नये टेस्टामेन्ट्स का उल्लेख है। महात्मा ईसा की मुख्य शिक्षाएं-1. परमात्म तंत्र (किंगडम ऑफ गॉड) के रहस्यों का ज्ञान करो, 2. अपनी पवित्रता को चरित्रहीनों से कुचलने न दो, न ही अपने मोतियों को दुष्टों के पांवों तले रौंदने दो, 3. विद्वानों के बीच में बुद्धिमानी की बात करो, सामान्य लोगों के बीच नहीं, 4. परमात्मा का आशीर्वाद उन्हें मिलता है जो हृदय से पवित्र तथा चरित्र से शुद्ध होते हैं-उन्हें ही परमात्म-दर्शन होता है, 5. जो
औरत को वासना की नजर से देखता है समझें कि उसने दिल से दुराचरण कर लिया, 6. अपने दुश्मनों से भी प्यार करो, श्राप देने वालों को वरदान दो, नफरत करने वालों का भी भला करो, 7. एक धनिक का स्वर्ग में प्रवेश उतना ही कठिन है जितना कि सुई के छेद में से ऊंट का निकल जाना आदि। सच्चे ईसाई का चरित्र बताया गया है-जो रोज दिखाई देने वाले अपने भाई को प्यार
नहीं करता, वह भला अदृश्य परमात्मा से कैसे प्यार कर सकता है? (टेन कमांडमेन्स)। 6. व्यक्ति का पहला कर्त्तव्य है सदाचार : इस्लाम के पैगम्बर मोहम्मद साहब ने प्रमुख धर्म ग्रंथ 'अल कुरान' में व्यक्ति का मुख्य कर्तव्य बताया है सदाचार और उसकी व्याख्या कही गई है कि व्यक्ति चरित्रशील पुरुषों व महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार करे, माता पिता के प्रति बर्ताव में कोमलता रखे तथा गुलामों के साथ उदार व्यवहार करे। कुरान में अंकित प्रमुख आचरण बिन्दु-1. धर्म के कामों में कभी-भी हिंसा न हो, 2. काफिर वह नहीं जो गैर मुस्लिम है, बल्कि वह जो अन्यायपूर्ण बुरे काम करता है, 3. आपस में भाइयों की तरह प्यार करना सीखो, द्वेषी व कट्टर की तरह किसी से नफरत न करो, 4. अल्लाह एक है, उसे संसार का शासक मानो, 7. अल्लाह के पैगम्बरों में भरोसा रखो-प्रत्येक पैगम्बर अल्लाह का पैगाम लाता है, 6. इस्लाम का मतलब है अल्लाह की मर्जी के आगे हर हाल में सिर झुकाना। अन्य धर्मों की तरह इस्लाम में भी शेख (गुरु) और मुरीद (शिष्य) के वार्तालापों का उल्लेख है। जैसे हिन्दू धर्म में 'सोऽम्' शब्द है, वैसा ही इस्लाम में है-'अन-उल-हक' अर्थात मैं ही परमात्मा हूँ। इसी तरह तुम परमात्मा हो
का हिन्दू धर्म में 'तत् त्वमसि' और इस्लाम धर्म में 'हक-तू-आई' वाक्यांश है। 7. चरित्रनिष्ठा एवं वीरोचित चरित्र का आन्दोलन : गुरु नानक (1469-1539 ईस्वी) द्वारा प्रवर्तित सिख धर्म का प्रमुख ग्रंथ है गुरु ग्रंथ साहब। इनके बाद नौ गुरु और हुए जिनके नेतृत्व में चरित्रनिष्ठा के साथ वीरोचित चरित्र निर्माण का सतत रूप से आन्दोलन चलता रहा। मुख्य शिक्षाएं हैं-परमात्मा के सेवक बनो जो एक है, अविभाज्य है, स्वयं भू है, अविजेय है, सर्वत्र
व्याप्त है। वादों-विचारों में चरित्र निर्माण के प्रश्न सुलझे भी, उलझे भी :
संसार में चरित्र निर्माण के प्रयत्न सदा से नवोद्घाटित वादों तथा विचारकों के विचारों के माध्यम से भी होते रहे हैं। वाद को पूर्व निश्चित विचारधारा कहा जा सकता है। राजतंत्रों के पतन के बाद सर्वोच्च सत्ता में सबमें फैलाव की विचाराधाराओं पर जोर पकड़ा। एक ओर उदारवादी विचारधारा
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