Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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लक्ष्य निर्धारण शुभ हो तो संकल्प सिद्धि भी शुभ
चरित्र विकास : नींव से शिखर तक
एक भावमय कथा है। एक नगर में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। उसका नाम था कपिल। भिक्षावृत्ति से उसका निर्वाह पूरा नहीं पड़ता था और उसे कई बार भूखे पेट सो जाना पड़ता था । उस नगर का राजा प्रात: काल सर्वप्रथम आशीर्वाद देने आने वाले ब्राह्मण को एक स्वर्ण मुद्रा दान में दिया करता था। एक बार कपिल को भी विचार आया कि दूसरे दिन प्रातःकाल सर्वप्रथम महल पहुंच कर वह भी एक स्वर्ण मुद्रा प्राप्त करें ताकि कुछ दिन तो सुख से कटे ।
दीनता अत्यन्त कष्टदायक स्थिति होती है और उसमें मन-मानस का सन्तुलन अस्त-व्यस्त होता रहता है। कपिल को बड़े सवेरे उठ कर राजमहल पहुंचना था, लेकिन उसे भान नहीं रहा और वह आधी रात के बाद ही उठ कर अपने घर से निकल पड़ा। कुछ ही दूरी पर गया होगा कि प्रहरी ने उसे रोका और अपराध की आशंका से पूछामध्य रात्रि में क्या चोरी करने को निकले हो? कपिल ने सारी सफाई दी पर मानी नहीं गई और उसे प्रात:काल राजा के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश के साथ कारागार में बंद कर दिया गया।