Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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सुचरित्रम्
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3. युवकों का आह्वान करता गीत :
(तर्ज : दिल लूटने वाले... )
चरित्रशक्ति के सम्बल से, इतिहास नया बन जाएगा युवकों, बस तुम जग जाओगे तो संसार बदलता जाएगा चरित्र शक्ति...
है आत्मशक्ति का प्रबल तेज, युवकों के भीतर में बहता यदि सही दिशा मिल जाए तो शुभ संस्कृति को जागृत करता साहस के धनी युवकों से ही, आलोक नया छा जाएगा युवकों, बस तुम... ॥ 1 ||
संयम ही जीवन मंत्र बने, दृष्टि, वाचिक और कायिक
सारे व्यसनों से मुक्त रहो, उन्मुक्त रहो कुविचारों से दंभ दिखावे कभी न हो, अनुरक्त रहो संस्कारों से हृदय हो निश्छल, चरित्र हो उज्ज्वल, स्वर्ग धरा पर आएगा युवकों, बस तुम... ॥ 2 ॥ संयम ही मन श्रृंगार रहे संयम, अन्तर का आधार रहे हे असंभव इस जग का कुछ, सब संभव हो जाएगा युवकों, बस तुम... ॥ 3 ॥ कथनी-करणी विवेकभरी भाषा भी मधुर, मन पुलकित हो हो स्वभाव सरल, व्यवहार मधुर, धार्मिकता से अनुरंजित हो क्षीर नीर विवेक बुद्धि से, मंगल मन हरसाएगा युवकों, बस तुम... ॥ 4 ॥
हे वीरपुत्र वीरत्व वरो, सेवा सहयोग में अर्पण हो संगठन की शक्ति पहचानो, खुद ही खुद का दर्पण हो प्रगति के पथ पर चलो यहां, इतिहास तुम्हें ही गाएगा युवकों, बस तुम... ॥ 5 ॥ प्रबुद्धमना बन शुद्ध बनो, दृढ़ विश्वास जगाओगे चरित्रनिष्ठ बन करके ही तुम अपनी शान बढ़ाओगे 'विजय' श्री हर कदम-कदम पर, तेरा यश छा जाएगा युवकों, बस तुम... ॥ 6 ॥