Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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सुचरित्रम्
इस आत्मानुभूति के क्षणों से गुजरना चाहिए अभियान के प्रत्येक सहभागी को:
चरित्र निर्माण अभियान के प्रत्येक सहभागी-चाहे वह अभियान का संचालक हो या पर्यवेक्षक, स्वयं-सेवक हो या कार्यकर्ता अथवा अभियान का प्रशिक्षणार्थी हो या अभ्यासी, सबको अपनाअपना दायित्व बखूबी समझना चाहिए। सामान्य की अपेक्षा कई गुना विशेष दायित्व मानना चाहिए, इस सर्वोपयोगी विजय अभियान का। इनकी सफलता पर देश के अनेक नागरिकों का ही नहीं, समची व्यवस्था के चरित्र परिवर्तन का भी भावी टिका हुआ रहेगा। इस दृष्टि से अभियान के सभी सहभागियों की मानसिकता में एकाग्रता, संयुक्तता तथा कर्मठता के लिए आवश्यक है कि वे अपनी आत्मानुभूति को सशक्त बना लें ताकि उनकी इच्छाशक्ति एवं कार्यक्षमता अभियान के दौरान सजग एवं सक्रिय रह सके। तदर्थ आत्मानुभूति के कुछ चिन्तनीय बिन्दु यहां प्रस्तुत हैं और इन आत्मानुभूति के क्षणों में सहभागीगण तब तक गुजरते रहें, जब तक आवश्यक दृढ़ता की उन्हें प्राप्ति न हो जाए1. हम ऐसी चिनगारी बन सकते हैं जिससे असत्, अशुद्ध एवं अशुभ के ढेर को जला कर नष्ट कर
सकें। वास्तव में चिनगारी का ही महत्त्व है। छोटे-छोटे प्रयास जितने महत्त्वपूर्ण होते हैं, उतना महत्त्व बड़े प्रयास का नहीं होता। ज्वालाएं एक साथ भभकती है और सबको भस्मीभूत कर देती है। हाँ, चिनगारी भी यही जलाने का ही काम करती है, लेकिन ताकत में अन्तर है। ज्यादा ताकतवर जल्दी ही निरुत्साहित हो जाता है, परन्तु चिनगारी भले ही कम ताकतवर हो, पर जलती ही रहेगी और ऐसा काम करेगी जो ज्वाला नहीं कर पाती। फिर ये चिनगारियाँ एक साथ समूह में ही उछलती और काम करती हैं। वही चिनगारी हम बनें जो हमारे भीतर रहे हए असत. अशद्ध एवं अशुभ के ढेर को जला सके, चारित्रिकता का उत्थान कर सके एवं बाहर के ऐसे ही ढेर को
भी चरित्रबल के माध्यम से जला कर सर्वत्र चरित्रनिष्ठा के सुखद वातावरण की रचना कर दे। 2. हम कष्टों, संकटों एवं आपदाओं के हलाहल को पीना सीखें, क्योंकि हमारे आदर्श पुरुषों ने भी
ऐसा ही किया था। कोई भी साधना या कोई भी अभियान सुगम नहीं होता, उसके पीछे कितने कष्ट भरे होते हैं। इसका पूर्वाकलन आवश्यक है ताकि समय पर दृढ़ता का परिचय दिया जा
सके।. 3. हमारे आराध्य, साध्य, लक्ष्य इस चरित्रहीनता के गहन अंधकार में चरित्र सम्पन्नता के चमकते हुए
सितारे हैं-इनके प्रकाश में भी अगर हम अपने दायित्वों का सम्यक् निर्वाहन कर सके तथा चरित्र निर्माण अभियान को शानदार सफलता न दिला सके तो इससे बढ़ कर दुर्भाग्यसूचक दूसरी बात
क्या होगी? 4. गुरु, प्रभु एवं आदर्श पुरुषों की शरण चरित्र निर्माण अभियान का माध्यम व्यक्ति से लेकर विश्व
तक को चरित्रशीलता के किनारे तक पहुंचाने के लिए एक सुन्दर, सुव्यवस्थित एवं मजबूत पोत के समान है तथा इस अभियान के रूप में वह पोत हमें प्राप्त हुआ है। उस पर हम सवार हो जाए।
बस, सवार होने भर की आवश्यकता है कि यह शरण हमें अपनी मंजिल तक पहुंचा देगी। 5. चरित्र निर्माण के सत्कार्य में हम इतने मग्न हो जाएं कि हमारे अन्तर में ज्ञान, दर्शन, चारित्र की
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