Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 699
________________ आज अधिकांश में व्यक्ति अशान्त है परिवार विखंडित है समाज विक्षुब्ध है राष्ट्र आतंकित है विश्व विनाश के कगार पर खड़ा है। ऐसे में * व्यक्ति से लेकर विश्व तक को। चरित्रहीनता के कंटकाकीर्ण पथ से - सच्चरित्रता के पावन पथ पर । चरणन्यास करने की पृष्ठभूमि है 'सुचरित्रम्' की पवित्र अवधारणा * व्यक्ति से लेकर विश्व तक को अंधकार से निकाल कर सुचरित्र के प्रकाश में आलोडन विलोडन मंथन का। सहज सुअवसर सुलभ करा रहा है 'सुचरित्रम्' आवरण डिजाइन : मीनल कटारिया, मुम्बई। www.fireflydesigns.in

Loading...

Page Navigation
1 ... 697 698 699 700