Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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श्रेष्ठ शिक्षा, संस्कार से सामर्थ्यवान व गुणी व्यक्तित्व का निर्माण
उत्तम संस्कार, शिक्षा व क्षमता चरित्र विकास के मूल भी हैं और फल भी : ___ उत्तम संस्कार, शिक्षा और क्षमता का सद्भाव चरित्र विकास के पहले भी चाहिए और बाद में भी। यदि पहले से ये तत्त्व समाज के वायुमंडल में विद्यमान हैं तो चरित्र विकास की श्रेष्ठता अतुलनीय होगी। तो ये इस प्रकार चरित्र विकास के मूल होंगे। यदि ये तत्त्व पहले दुर्बल हुए तो कठोर प्रयास की आवश्यकता होगी और चरित्र विकास के फल रूप में इन तत्त्वों की प्राप्ति हो सकेगी अर्थात् चरित्र विकास से संस्कार, शिक्षा तथा क्षमता में उत्तमता का संचार होगा। मूल और फल दोनों उत्तम रहें तो परम्परा उत्तम बनेगी, सभ्यता व संस्कृति समुन्नत होगी।
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