Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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सामाजिक प्रवाहकी गतिशीलता निरन्तरताहेत होबदलाव
अक्सर आलोचना होती रहती है कि यहां भी राजनीति चलाई जा रही है। असल में आज राजनीति एक घृणित बुराई का नाम हो गया है। राजनीति की निकृष्ट स्थिति उसके अपराधीकरण की भी बात चलती है तो राजनेताओं के भ्रष्टाचार से भी जनता विक्षुब्ध दिखाई देती है। लेकिन अब राजनीति के शुद्धिकरण की मांग जोरों पर है और विधिपूर्वक ऐसे उपाय किए जाने लगे हैं कि अपराधियों का राजनीति यानी चुनाव में ही प्रवेश न हो सके। चुनाव सुधारों की गूंज भी तेज है। सूचना के अधिकार ने राजनीति के शुद्धिकरण की प्रक्रिया में जनता के हाथ मजबूत किए हैं। सत्ता के विकेन्द्रीकरण को भी सुदृढ़ बनाया जा रहा है और उसे ग्राम स्तर तक प्रभावी बनाकर प्रत्येक नागरिक को महसूस करने लायक सत्ता की भागीदारी दी जा रही है। राजनेताओं के प्रति जनता के बढ़ते हुए असम्मानभाव ने उन्हें अपने चरित्र सुधारने को विवश किया है। ज्यों-ज्यों जनता की चेतना कार्यक्रम बनती जाएगी, इस बिगड़े हुए क्षेत्र में सुधार के स्पष्ट संकेत सामने आते जाएंगे। यहां भी अब निराशा का विचार हटता जा रहा है। ___ 3. अर्थनीति का क्षेत्र-अब तक जड़ बनी रही आर्थिक व्यवस्था में मानवीय चेहरे को प्रमुखता देने की मांग ताकत पकड़ती जा रही है। सरकारों पर यह दबाव जोरदार है कि सब तरफ बेरोजगारी पर अंकुश लगाया जाए तथा निजी व सार्वजनिक उद्योगों में वांछित लोगों को रोजगार दिया जाए। शिक्षा को भी रोजगार-परक बनाने के प्रयत्न जारी हैं। आर्थिक विषमता का आज जो दर्दनाक दृश्य है, वह शासकों को विचलित करने लगा है तथा बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ एवं अन्यान्य योजनाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से प्रयत्न चालू है कि गरीबी का एक निश्चित अवधि में उन्मूलन हो। विश्वास दिलाया जा रहा है कि 2020 तक गरीबी का उन्मूलन संभव है। बैंकों द्वारा छोटे व मध्यम ऋणों के बहुलता से वितरण द्वारा छोटे-छोटे उद्योग-धंधों में बेरोजगार युवक नियोजित किए जा सकें-ये प्रयास भी चल रहे हैं। सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं के प्रयत्नों से आर्थिक विषमता को घटाने की कसरत हो रही है। ___4. सामाजिक क्षेत्र-इस क्षेत्र में पहले से सामाजिकता का भाव पर्याप्त रूप से विकसित हुआ है तथा सामाजिक सम्पर्क एवं सहयोग बढ़ रहा है-यह विश्वासपूर्वक कहा जा सकता है। सरकारी प्रयत्नों के उपरान्त भी शिक्षा, चिकित्सा, बाल-महिला कल्याण के क्षेत्रों में सामाजिक प्रयत्न उल्लेखनीय बनते जा रहे हैं तथा इन क्षेत्रों में खुले दिल से दान की प्रवृत्ति भी बढ़ी है। बड़े-बड़े विद्यालय तथा चिकित्सालय विभिन्न समाजों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं किन्तु हर्ष का विषय है कि उनके द्वारा मिलने वाले लाभ को किसी संकुचित दायरे तक सीमित नहीं किया जा रहा है। सरकार की ओर से भी निरक्षरता एवं बाल-श्रम को मिटाने के लिए सघन अभियान चलाये जा रहे हैं तथा उनके सुपरिणाम भी सामने आ रहे हैं। लगता है कि धीरे-धीरे सरकार का कार्यक्षेत्र सीमित होता जायगा और विकास का अधिकतम कार्य विकासशील सामाजिकता की छतरी के संरक्षण में आ जाएगा।
5. संबंधों का क्षेत्र-पिछले समय में सर्वत्र संबंधों का जो संकट आया हुआ था, उसमें सुधार के लक्षण प्रकट होने लगे हैं। संयुक्त परिवारों की टूट के साथ जो माता-पिता एवं सन्तान के संबंधों में
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