Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
View full book text
________________
नव-जागरण का बहुआयामी कार्यक्रम
चरित्र निर्माण अभियान
नव निर्माण की तड़प है न पाया उसे पाने की ललक है आशा और उत्साह की शहनाई बज रही है भीतर में तो अवश्यमेव चरण बढ़ेंगे कदम-दर-कदम मंजिल पे चढ़ेंगे विघ्न बाधाओं के निशाचर दूर भगेंगे हम नवनिर्मित बनेंगे
न पाया उसे पाकर ही ठहरेंगे। नव निर्माण, निर्विघ्न गति, साध्य गति आदि ये सब विचार ही हैं। विचार, दृढ़ता पकड़ कर संकल्प बनते हैं। संकल्प समभाव से तरंगित होकर समर्पण के साथ जब आबद्ध होते हैं तो जैसे सफलता की गारंटी हो जाती है। हमारे विचार ही हमारे सुख दुःख के आधार हैं। व्यक्ति परिस्थितियों, घटनाओं, अन्य व्यक्तियों या पदार्थों से सुखी या दु:खी नहीं होता, उनका सद्भाव या अभाव उसे सुखी या दुःखी बनाता-वह सुखी अथवा दुःखी बनता है तो अपने ही विचारों से-यह सत्य है। इस सत्य की रोशनी में क्यों नहीं हम भी अपने विचारों को नया मोड़ दें? इसके
485