Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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सामाजिक प्रवाह की गतिशीलता व.निरन्तरता हेतु हो बदलाव
सत्कृति हेतु चारित्रिक निर्माण हो
घटना और भावना से सत्य, किन्तु असत्य नामों वाली
' एक कहानी यहां दी जा रही है। लहरबाई का विवाह 1951 में हुआ। उस समय औरतों द्वारा अपने पैरों में चांदी के मोटे कडे पहनने का रिवाज था, सो उसकी सास ने उसे वैसे कड़े पहनने को दिए। उसने वे कड़े खुशी-खुशी लिए और पहने। फिर 1988 में लहरबाई के पुत्र वधु आई उर्मिला देवी। तब सास का धर्म पहनने के लिए चांदी के वैसे ही मोटे कड़े दिए। उर्मिला ने उन्हें लेने और पहनने से साफ इनकार कर दिया और मांग की कि उसे पहनने के लिए नई डिजाइन वाले हल्के वजन के पायजेब दिए जाए। ____ तब स्थिति यह बनी कि न तो लहरबाई उसे पायजेब देने को तैयार हुई और न उर्मिला मोटे कड़े पहनने को तैयार। दोनों अपनी-अपनी हठ पर अड़ी रही और उनके बीच द्वन्द लगातार जारी रहा। इतना ही नहीं, लम्बे अर्से तक चला वह द्वन्द संघर्ष तक पहुंच गया। संघर्ष तीखा होता जा रहा है और यदि समस्या नहीं सुलझी तो संबंध विच्छेद की घड़ी भी आ सकती है। ' क्या है यह समस्या? यही न, कि पुरानी पीढ़ी अपनी ही चलाना चाहती है और नई पीढ़ी की आपत्ति तक सुनने
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