Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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दुर्व्यसनों की बाढ़ बहा देती है चरित्र निर्माण की फलदायी फसल को
को सहज और सतर्क बना लें ताकि आपदा का सही समाधान खोजा जा सके। 2. कर्म की साधना डर कर करें, लेकिन काम की खूब थकान के बाद तन, मन को ढीला छोड़
आवश्यक विश्राम भी अवश्य किया जाना चाहिए। 3. काम को रोकने वाली छोटी से छोटी अड़चन को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए तथा
यथासमय उसे हटा कर गति को सुगम बनाते रहें। 4. काम के बोझ से ज्यादा दबाव महसूस करें तो हंसते-हंसते कंधा बदल लिया करें किन्तु काम को
बीच में कभी भी नहीं छोड़ें। 5. काम के बीच में आपदा के आने पर पहले उसके कारण पर नहीं, उसके निवारण पर तत्काल
विचार करें ताकि काम की गति टूटे नहीं। 6. काम की लगन ऐसी गहरी होनी चाहिए कि मौत तक का भय सामने आ जाने पर खिलाड़ी की
भावना बनी रहे। 7. आपदा आने के साथ डर कतई नहीं आना चाहिए। डर आवे तो इतना ही कि उससे बचाव का .
___ उपाय तुरन्त सूझ आवे और अमल हो। 8. कर्म साधना की मुख्य बात यह है कि सभी साथियों का परस्पर ऐसा दृढ़ सम्बन्ध हो कि हरेक हर
__ हाल में आपदा के समय साथ रहे। 9. कर्म साधना में अन्याय से आगे बढ़कर लड़ना, आपदाओं को जगाने वाली मानना और
चित्तवृत्तियों को संशोधित करते चलना जरूरी है। चरित्र विकास के किसी भी अभियान में भी ये ही सूत्र दृढ़ता एवं सक्रियता के कारण होते हैं।
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