Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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आचार के उच्चतर बिन्दु, अहिंसक क्रंति और व्यक्तित्व गठन
बहुआयामी व्यक्तित्व का आधार हमारा चरित्र
आ चार के प्रधान गुण दया-करुणा के प्रारंभिक चरण
" का सुखद परिचय दिया बड़े भाई ने तो छोटे भाई ने उसी दिन इसी प्रधान गुण के चरम चरण की साधना सम्पूर्ण की अपने सर्वस्व का बलिदान देकर । ये बड़े भाई थे श्री कृष्ण तथा छोटे भाई गजसुकुमार थे। उस दिन भगवान् श्री नेमिनाथ नगर से बाहर उद्यान में विराज रहे थे और उनकी प्रवचन धारा में अवगाहन हेतु दोनों भाई राजमहल में सदल-बल उद्यान की ओर जा रहे थे। श्री कृष्ण गजारूढ़ थे, अपने छोटे भाई के साथ और साथ में .. अन्य दर्शनार्थी, आरक्षी आदि थे। मार्ग में श्री कृष्ण की दृष्टि एक अतिशय वृद्ध पर पड़ी, जो हांफते-हांफते एक बड़े ढेर से एक-एक ईंट उठा कर उसे अपने घर के पास ... रख रहा था। श्री कृष्ण का हृदय दया से द्रवित हो उठा कि कितने कठोर और थकाने वाले परिश्रम के बाद यह वृद्ध अपना काम पूरा कर पाएगा? हाथी को ढेर के पास लिवा कर ढेर में से एक ईंट उन्होंने स्वयं उठाई और उसे निश्चित स्थान पर रख दी। यह देख कर सब अचंभित रह गये, लेकिन एक पल को भी रूके नहीं-हाथोंहाथ ईंटें उठा कर स्थान पर रखने लगे। इतने हाथ एक साथ लग
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