Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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दुर्व्यसनों की बाढ़ बहा देती है चरित्र निर्माण की फलदायी फसल को
1.व्याधियों की उत्पत्ति - मांसाहार से लकवा, पथरी, कैंसर, अल्सर, डायबिटीज, गालब्लेडर, स्टोन, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मोटापा, दमा जैसे घातक रोग होते हैं तथा इस आहार के साथ जलाभाव की समस्या लगी रहती है। मांस में कार्बोहाइड्रेट्स नहीं होते और इस कारण आंतों की तरह-तरह की बीमारियाँ पैदा होती हैं। इसमें विटामिन 'सी' भी नहीं होता, जिससे एंटी-टोक्सिन का रसायन नहीं बन पाता। इससे शरीर तरह-तरह के विषैले तत्त्वों के असर में आता रहता है। मांस में कोलेस्ट्रोल की मात्रा ज्यादा होती है जो हृदय रोग, चर्मरोग, पथरी आदि को उभारती है। मांस में प्रोटीन का अतिरेक होता है जिसकी वजह से अस्थियों का बिखराव (ऑस्टिओपोरोसिस) का रोग घेर लेता है। कारण, अधिक प्रोटीन से कैल्शियम की हानि होती है। मांसाहार से होने वाले रोगों का विवरण बहुत विस्तृत है।
2. पशुओं और उपजाऊ भूमि का विनाश - मांसाहार के कारण पशुओं का लगातार विनाश होता रहता है तथा इससे उपजाऊ जमीन भी बंजर होती रहती है। पशु संवर्धन के अभाव में दुनिया भर की जमीन की 85 प्रतिशत ऊपरी सतह नष्ट हो गई है। वाशिंगटन स्थित संस्था 'वर्ल्डवाच इंस्टीट्यूट' ने चेतावनी दी है कि यदि मांसाहार तेजी से नहीं घटाया गया तो विश्व को बहुत बड़े संकट का सामना करना पड़ेगा।
3. मांसाहार में कैलोरियों की कमी - विज्ञान का निष्कर्ष है कि 100 ग्राम मांस में अधिकतम 194 कैलोरियाँ ही मिलती हैं, जबकि 100 ग्राम गेहूँ के आटे में 353, तूअर दाल में 353, सोयाबीन में 432, मूंगफली में 564 तथा नारियल में 444 कैलोरियाँ मिलती हैं।
4. हड्डियों की क्षति का अंतर - शाकाहारी पुरुष व स्त्री में जहाँ हड्डियों की क्षति 3 व 18 प्रतिशत होती है, वहीं मांसाहारी में क्रमश: यह 7 व 35 प्रतिशत पाई जाती है। सामिषभोजी स्त्री 65 वर्ष की आयु तक अपनी हड्डियों का एक तिहाई भाग खो देती है, जबकि शाकाहारी की हड्डियाँ क्षतिग्रस्त होती है तो जल्दी जुड भी जाती है।
5.बूचड़खाने में पशु का मांस जहरीला हो जाता है - पशुओं को बूचड़खाने की स्थिति का जब आभास होता है तो भीषण क्रोधावेश में वे मारे जाते हैं और इस तरह उनका मांस जहरीला हो जाता है। उस मांस को खाने से मांसाहारी की ऐंठन, सन्निपात, मिर्गी और आकस्मिक मृत्यु जैसी स्थिति होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के बुलेटिन सं. 637 के अनुसार मनुष्य के शरीर में लगभग 160 रोग मांस खाने से होते हैं। चार बड़ी बीमारियाँ होती हैं-डायरेक्ट जुनोसिस, साइक्लोजुनोसिस, मेटाजुनोसिस तथा सेपरोजूनोसिस। इनसे प्लेग, लीवर, फ्लू आदि बीमारियाँ होती हैं।
6. अहिंसक संस्कृति से कोई तालमेल नहीं - भारत की अहिंसक संस्कृति के साथ तो मांसाहार का कोई तालमेल नहीं है। जहाँ जीव रक्षा का भाव सर्वोपरि है, वहाँ प्राणहरण एवं मांसभक्षण को त्याज्य दृष्टि से ही देखा जाता है। भारत के सभी महापुरुष शुद्ध शाकाहारी रहे हैं तथा शाकाहार की श्रेष्ठता ही उन्होंने उद्घोषित की है। आहार के यहाँ तीन प्रकार कहे गए हैं-1. सात्विक, 2. राजसिक, 3. तामसिक और तामसिक आहार योग व आध्यात्मिक साधना में बाधक माना गया है।
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