Book Title: Sucharitram
Author(s): Vijayraj Acharya, Shantichandra Mehta
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Sadhumargi Shantkranti Jain Shravak Sangh
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सुचरित्रम्
सामाजिक चरित्र के उत्थान का एक बहुत बड़ा कारण बना।
दूसरी ओर सम्राट कुणिक (अजातशत्रु) के चरित्र का भी उल्लेख है जिसने अपने पिता श्रेणिक (बिम्बिसार) को कारागार में डाल कर मगध राज्य पर अपना समय से पूर्व आधिपत्य जमाया तथा चरित्रहीनता की नींव पर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। दिन और रात की तरह चरित्रशीलता और चरित्रहीनता का क्रमशः वातावरण चलता रहा है जो स्वाभाविक भी है। रात का गहरा अंधेरा न हो तो प्रभात की अभिलाषा बलवती कैसे बने?
2. अकबर बादशाह और औरंगजेब : मध्यकालीन इतिहास में अकबर बादशाह को महान् माना गया है, क्योंकि वे निष्पक्ष, न्याय रक्षक एवं धर्म में उदारता के समर्थक थे। सभी धर्मों को उन्होंन समान रूप से सम्मान दिया और उन्हें राजकीय प्रोत्साहन से आश्वस्त बनाया। वहीं उनके पड़पोते बादशाह औरंगजेब ने धार्मिक कट्टरता के साथ गैर मुसलमानों पर भारी अत्याचार किए तथा लाखों लोगों से बलात् धर्म परिवर्तन कराया। इस प्रकार दोनों के शासन को पूर्व और पश्चिम कहा जा सकता है। शासन के स्वरूप में न केवल शासक का, अपितु शासितों के चरित्र की भी झलक मिलती है। ____ 3. महाराणा प्रताप व राजा मानसिंह : स्वतंत्रता की चाह और उसकी रक्षा का भाव चरित्र की उज्ज्वलता की प्रतीक होती है तो स्वतंत्रता की उपेक्षा करके अपने स्वार्थों की पूर्ति कर लेना ओछे चरित्र की बात हो जाती है। इन दोनों प्रकार के मध्यकालीन इतिहास में ही हुए चरित्र नायक रहे मेवाड़ के महाराणा प्रताप तथा जयपुर के राजा मानसिंह । प्रताप ने अकबर के विरुद्ध मेवाड़ की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हुए जंगलों की खाक छानी और युद्ध के जौहर दिखाए। यह चरित्रशीलता की अद्भुत 'स्पिरिट' होती है जो कठिनाइयों और कष्टों में भी सुख का अनुभव करती है। इसी का दूसरा पक्ष अपनी स्वतंत्रता बेच कर और भौतिक सम्पत्ति को अपने कब्जे में रख कर सुख पाता है, लेकिन वह कोई वीरोचित सुख नहीं होता। इतिहास में व्यक्तित्व की प्रतिष्ठा चरित्र की उत्कृष्टता से ही होती है। एक चरित्रशील नायक के चरित्र का प्रभाव अस्थाई ही नहीं होता, आज तक भी मेवाड़ ही नहीं, पूरे भारत में प्रताप का यशगान किया जाता है। ___4. महात्मा गांधी एवं मोहम्मद अली जिन्ना : आधुनिक इतिहास की यह ताजी मिसाल है कि जिसमें महात्मा गांधी की चरित्रशीलता बेमिसाल है। ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध स्वतंत्रता संघर्ष में सत्याग्रह आदि अहिंसात्मक उपायों से जनान्दोलन चलाए तो दूसरी ओर मानवता को तोडने वाली साम्प्रदायिकता का अन्तिम दम तक विरोध किया। उन्होंने कोई भी मुद्दा हिन्द या मुसलमान की साम्प्रदायिकता के आधार पर तय करने से मना कर दिया तथा धर्म निरपेक्ष राजनीति का प्रवर्तन किया। अपनी चरित्रशीलता के दम पर उन्होंने एक-एक भारतीय के चरित्र में नई जान फूंकी और चरित्र के प्रभाव को स्वतंत्रता प्राप्ति के साथ सिद्ध कर दिखाया। दूसरी ओर अंग्रेजी साम्राज्यवादियों के हाथों की कठपुतली बनकर मोहम्मद अली जिन्ना ने भारत का विभाजन कराया तथा अपने साम्प्रदायिक एवं व्यक्तिगत स्वार्थ पूरे किए। सच तो यह है कि जिस साम्प्रदायिक आधार पर देश का विभाजन हुआ और घोर घृणा का प्रसार हुआ उससे-सामान्य जन के चरित्र निर्माण को भारी आघात झेलने पड़े।
यों इतिहास के चरित्र नायकों की गतिविधियों तथा घटित घटनाओं का व्यक्ति एवं समाज के 238