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ब्रह्म जिनदास
लिखी हुई इस काव्य की एक प्रति डूंगरपुर के भट्टारकीय शास्त्र भण्डार में संग्रहोत है । इस प्रति में १२"x६" आकार वाले ४०५ पत्र हैं। इसका रचना काल संवत् १५०८ मंगसिर सुदी १४ (सन् १४५१) है।
संवत् पन्नर अठोतरा मांगसिर मास विशाल ।
शुक्ल पक्ष चदिसि दिनी रास कियो गुणमाल ॥६॥ ४. यशोधर शस
इसमें राजा यशोधर के जीवन का वर्णन है । यह संभवतः कवि की प्रारम्भिक रचनायों में से है क्योंकि अन्य रचनानों की तरह इसमें भुवनक्रानि के नाम का कोई उल्लेख नहीं किया गया है । इसकी एक प्रति प्रामेर शास्त्र मण्डार में संग्रहीत है । रचना की भाषा एव शैली दोनों ही अच्छी है । ५. हनुमत रास
हनुमान का जीवन जैन समाज में बहुत ही प्रिय रहा है । इनकी गणना १६३ पुण्य पुरुषों में की जाती है। हनुमत रास एक लघु कायम है जिसमें उसके जोवन की मुख्य २ पदनाम का वर्णन दिया हुआ है। यह एक प्रकार से सतसई है जिसमें ७२७ दोहा बीपई वस्तुबंध आदि हैं । रचना सुदर है । एक उदाहरण देखिये
अमितिगति मुनिवर तणु नाम, जागे उग्य बीजु भान । तेजनंत कधिवंत गुणमाल, जीता इंद्री मयगण मोह जाल ।। क्रोध मान मायानि लोभ, जीता रागद्वेष नहिं क्षोभ । सोममुरति स्वामी जिणचंद, दीठिउ ऊपजि परमानन्द ।। अंजना सुदरी मनु ऊपनु भाव, मुनिवर वर त्रिभुवनराय । नमोस्त करी मुनि लागी पाय, धन सफन जन्म हवु काय ।।
आपको एव. हस्तलिखित प्रति उदयपुर के खण्डेवाल दि. जैन मन्दिर के शास्त्र भण्डार के एक गृटके में संग्रहीत है । ६. नागकुमार रास
इस रास में पञ्चमी कथा का वर्णन है । इस रास को एक प्रति उदयपुर के खण्डेलवाल मंदिर के शास्त्र भण्डार में संग्रहीत है। प्रति में १०॥४४॥" आकार वाले ३६ गत्र हैं। यह संवत १८२६ को प्रतिलिपि की हुई है । रास सीधी सादी भाषा में लिखा हुआ है । एक उदाहरण देखिये
अंबू द्वीप मझारि सार, भरत क्षेत्र सुजाणो । मगध देश प्रति रूबड़ो, कनकपुर मावाणो ॥१॥ जयंधर तिणे नयर राउ, राज करे उत्तंग ।। धरम करे जिणवर तणो, पाल समकित अग ॥२॥