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अवशिष्ट संत
व्यक्तित्व
संस्कृत तथ
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संत भुवनकी विविध शास्त्रों के ज्ञाता एवं प्राकृत राजस्थानी के प्रबल विद्वान थे । शास्त्रार्थ करने में वे अति चतुर ये वे सम्पूर्ण कलाओं में पारंगत तथा पूर्ण अहिंसक थे । जिधर भी आपका विहार होता था, वहां आपका अपूर्व स्वागत होता । ब्रह्मजिनदास के शब्दों में इनकी कीर्ति विश्व विस्मात हो गयी थी। वे अनेक साधुओं के अधिपति एवं मुक्ति-मार्ग उपदेष्टा थे । विद्वानों से पूजनीय एवं पूर्ण संयमी ये । वे अनेक काव्यों के रचयिता एवं उत्कृष्ट गुणों के मंदिर थे । '
ब्रह्मजिनदास ने अपने रामचरित्र काव्य में इन्हीं मट्टारक भुवनकीति का गुणानुवाद करते हुये लिखा है कि वे अगाध ज्ञान के बेत्ता तथा कामदेव को चूर्ण करने वाले थे । संसार पाश को त्यागने वाले एवं स्वच्छ गुणों के धारक थे । अनेक साधुओं के पूजनीय होने से वे यतिराज कहलाते थे । २
१. जयति भुवनकीत्ति विश्वविख्यातकीति
बहु सिजनयुक्त मुक्तिमात्र समशर विजेता, भव्यसन्मार्गता ॥३॥
२.
भुवनकोत के बाद होने वाले सभी भट्टारकों ने इनका विविध रूप से
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विदुधजन निषेव्यः सत्कृतानेककाव्म । परमगुणनिवासः सकुताली विलासः
विजितकरणमारः प्राप्तसंसारपारः सभवतु गतघोषः शर्मणे वा सतोषः ॥४॥
जम्बूस्वामी चरित्र (व० निवास)
पट्टे तबीये गुणावान् मनीषी क्षमानिधाने भुवनादिकीतिः । जोयाच्चिरं भष्यसमूहको नानाय तिव्रातनिषेवणीयः ॥ १८५ ॥
जगति भुवनकीर्तिभूर्त लख्यातकी तिः, तजलनिधिवेत्ता अनंगमानप्रभेता
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विमल गुण निवास छिन्संसारपाशः
सम्रयति यतिराजः साधुराः ।। १८६ ॥
रामचरित्र ( ० जिनवास )