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राजस्थान के जन संत : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
२. द्वादशानुप्रेक्षा ३. भविष्यदत्त रास
भनि प्रपत्त साताको सपना सावरका परिचय निम्न प्रकार है
भविष्यदत्त के रोमाञ्चक जीपन पर जैन विद्वानों ने संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रश, हिन्दी राजस्थानी आदि सभी भाषानो में पचासों कृतियां लिखी है। इसकी कथा जनप्रिय रही है और उसके पढने एवं लिखने में विद्वानों एवं जन साधारण ने विशेष रुचि ली है। रचना स्थान सोजत्रा नगर में स्थित सुपार्श्वनाथ का मन्दिर धा। रास का रचनाकाल संवत् १६०० श्रावण सुदी पञ्चमी है। कवि ने उक्त परिचय निम्न छन्दों में दिया है
काष्ठासंघ नंदी तट गच्छ, विद्या गुण विद्या स्वछ ।
रामसेन वंसि गुणनिला, धरम सनेह मागुर भला ॥४६७।। विमलसेन तस पाटि जारिण, विशालकीत्ति हो प्रावुच जाण । तस पट्टोधर मद्दा मुनीश, विश्वसेन सूरिवर जगदीस' ।।४६८।। सकल शास्त्रु तण मंडार, सर्व दिगंबरनु शृगार। विश्वसेन सूरीश्वर जाण, गछ जेहनो मांनि आंग ।।४६९।। तेह तरणु दासानुदास, सूरि विद्याभूषण जिनदास । आणी मन मांहि उल्हास, रचीन्द्र रास शिरोमणिदास 1॥४७०।। महानयर सोजत्रा ठाम, त्यांह सुपास जिनबरनु घाम । भट्टै रा ज्ञाति अभिराम, नित नित फरि धर्मना काम ॥४७१।। संबत सोलसि थावण मास, सुकल पंचमी दिन उल्हास । कहि विद्याभूषण सूरी सार, गस ए नंदु कोड वरीस ॥४७२॥
भाषा
रास की भाषा राजस्थानी है जिस पर गुजराती भाषा का प्रभाव है ।
छन्द
इसमें दूहा, चउपई, वस्तुबंध, एवं विभिन्न हाल है । ' wwwwwww ---maunware -
२. मट्टारक सम्प्रवाय-पृष्ठ संख्या-२७१
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