________________
२२८
राजस्थान के जैन तंत्र व्यक्तित्व एवं कृतित्व
:.
रमणावर गंभीर वीर मंदिर जिम सो है । लख्म सेन गुरु पार्टि एह भवीयरण मन मोहे | दीपति तेज दरणीयर सिसुमच्द्धत्ती मरणमारणहर | जयवंताच वय संघसु श्रीधर्मसेन मुनिवर पर || १ ||
पहिरवि सील सनाह तयह चरगु कडि कष्ट्रीय | क्षमा खडग करि धरवि गहीय भुज बलि जय लखो । काय कोह मद मोह लोह आवंतु टालि । कटू संघ मुनिराज गछ इणी परि अजूवाति ||
श्री लक्ष्मसेन पट्टोधरण पाव पंक छिप्पि नहीं 1 जे नरह नरिये बंदी श्री भीमसेन मुनिवर सही ॥ ॥
सुरगिरि सिरि को चर्ड पाउ करि अति बलवंती | केवि रायर नीर तीर हुतउय तरंती ॥ कोई श्रामालय मास हृत्य करि गहि कर्मतौ ॥ कटु संघ गुण परिलहिउ विह कोई महंती |
श्री भीमसेन पट्टह धरण गछ सरोमणि कुल तिलो । जाति सुजाण जाप नर श्री सोमकीर्ति मुनिवर मलौ ॥३॥
पनरहसि अठार मास आषाढह जा । मक्कवार पंचमी बहुल पष्य बखार ॥ पुण्या भद्द नक्षत्र श्री सोभीत्रिपुर वरि । सत्यासीवर पाट तर प्रबंध निरिपरि ॥
जिनवर सुपास भवन कोड श्री सोमकीति बहु भाव धीर । जयवंत रवि तसि विस्तरु श्री शांतिनाथ सुपसाउ करि ॥४॥
गुटका दि० जैन मन्दिर वषैरवाल रगवां