Book Title: Rajasthan ke Jain Sant Vyaktitva evam Krititva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Gendilal Shah Jaipur
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मंथकारानुक्रमणिका ( ग्रन्थकार, सन्त, श्रावक, लिपिकार आदि ।
१९५
नाम पृष्ठ संख्या नाम
पृष्ठ संस्था अकलंक
११ | ऋषिवन सूरि अकम्पन १५६७ कपूर चन्द
२०२ अखयराज १७ | कबीरदास
३८, ६२ अगरचन्द नाहटा
कमल फीति अजयराज पाटगी ।
नामलराय ज० अजित
करसिह अजितनाथ १०,८८ करमण
१७४ अनन्तकत्ति ११८, ११९, १०, बरमसिंह
१,२ १२४, १२७, १८६ | कल्याण कीत्ति
१६७ अभयवन्द्र १४४, १४८, १८.९, कैवारण तिलक
१४ १५०, १५१, ५५०, | प्र० पामराज १५६, १६१, १६६. कालिदास १८८, १०, ११२ : कुमृदचन्द्र २७, २०८, २६
५३९, ११, १४२, भल अभयनन्दि १२७, १२८, १.६,
१४३, १४४. १४५, १८८, १६०, ५...
१४८. १५३, १५६,
१६१, १८
२२
१०२ ११,६८, ९९
१४८
आचार्य अमितिगति आ० अमृतचन्द्र अनीति अर्जुन जीवराज अहद्वलि आनन्द सागर भाशाधर संश्रयी ग्रास वा इन्द्रराज इलाहीम लोदी उदयसेन
२६५ ५ ५८. . ! पृन्दनलाल जैन
फरि आचार्य कुन्दकुन्द कोडमदे न कृष्णदास क्षमा कलश वणी शेमचन्द्र खातु
चालचन्द काला गणचन्द्र
१५४
२०२

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