________________
भट्टारक ज्ञानभूषण
रचनायें निबद्ध करने के अतिरिक्त ज्ञानभूषण ने ग्रन्थों की प्रतिलिपियां करवा कर शास्त्र मण्डारों में संग्रहीत . कराने में भी खुब रस लिया है। माज भी राजस्थान के शात्य भण्डरों में इनके शिष्य प्रशिष्यों द्वारा लिखित किसनी ही प्रतियां उपलब्ध होती हैं । जिनका कुछ उल्लेख निम्न प्रकार मिलता है। -
१. संवत् १५४५ असोज. बुदी १२ शनिवार को ज्ञानभूषण के उपदेश में
धनपाल कृत मविय्यदत्त चरित्र की प्रतिलिपि मुनि श्री रत्नकोत्ति को पठनार्थ भेंट दी गई।
प्रशास्ति संत्रह-पृष्ठ सं. १४९ २. संवत १५४१ माह बुदी ३ सोमबार गरपुर में इनकी गुरु वहिन शांति
गौतम श्री के पठनाथं आशाधर कृत धर्मामृतपंजिका की प्रतिलिपि की गयी।
(ग्रन्थ संख्या-२९० शास्त्र भंडार ऋषमदेव) ३ संवत् १५४९ आषाढ सुदी २ सोमवार को इनके उपदेश से वसुनंदि पंचविंशति की प्रति व्र. ..माणिक के पठनाथ लिखी गई।
अन्य सं. २०४ संभवनाथ मन्दिर उदयपुर । ३. संवत् १५५३ में गिरिपुर (दंगरपुर) के प्रादिनाथ चैत्यालय में सकल
कत्ति कृत प्रश्नोत्तर श्रावक्राचार की प्रतिलिपि इनवे. उपदेश सेवा ज्ञातोय श्रेष्ठि ठाकुर मे लिन वाकर माघनदि मुनि को मेट बी ।
भट्टारकीय शास्त्र भडार अजमेर अन्य सं. १२२
४. संवत् १५५५ में अपनी गुरु बहिन के लिये ब्रह्म जिनदास कृत हरिवंश पुराण की प्रतिलिपि कराई गयी।
प्रशास्ति मंग्रह-पृष्ट ७३ ५. संवत् १५५५ आषाढ बुदी १४ कोटस्याल के वन्द्रप्रभ चैत्यालय में ज्ञान
भुषा के शिष्य ब्रह्म नरसिंह के पड़ने के लिये कातन्त्र रुपमाला वृत्ति की प्रतिलिपि करवा कार मेंट की गई।
संभवनाथ मंदिर शास्त्र मंडार उदयपुर
ग्रन्थ संख्या-२०९
६. संवत् १५५७ में इनके उपदेश से महेश्वर कृत शब्दभेदप्रकादा की प्रतिलिपि' की गई।
ग्रन्थ संख्या-११२ अग्रवाल मंदिर उदयपुर