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व्याकरण ।
१०३ पावाला (प्रवालक) १०. ५. ७ में प्रथम 'अ' तथा माणूसोत्तर (मानुषोत्तर) १६. १४. ८ में 'उ' दीर्घ किया गया है । पराई (परकीय) (१८. २. ३) में 'ई' के पूर्व का 'अ' अंतिम 'अ' का लोप होने के कारण शब्द को मात्राओं में हुई कमी को पूरा करने के लिये दीर्घ किया गया है। [३] स्वर संबंधि अन्य परिवर्तन
(अ) कुछ शब्दों में अ और इ के उ के समीप आने से अ तथा इ का सावर्ण्यभाव (एसीमिलेशन) हो गया है यथा-पुंसुलि (पुंश्चलि) १३. ६. ८; अपुणु (अप्पणु) २. ११. २, ८. १३. ७, १०. १. १२; तथा उच्छु (इक्षु) १०. ५. ३ ।
(आ) कुछ शब्दों में दो उ के समीप आने से एक उ का असावर्ण्यभाव हो गया है यथा गरु (गुरु) २. ५. ६, मउड (मुकुट) ६. १८. ९, मउल (मुकुल) ५. ९. १०; उत्तंगु (उतुंगु) १. ६. ४; १. ७. १, ४. ५. ५, आदि । देउल (देव+कुल) १३. २. ५, में पहिले व का सम्प्रसारण हुआ फिर अक्षरलोप । राउल ९. २. १० (राजकुल) में पहले अ का उ में सावर्ण्यभाव हआ फिर दोनों अक्षरों का लोप हुआ है। उसी तरह से सूआर (सूपकार ) ६. ३. ११ तथा उंबर (उदुंबर) १७. ९. ५-अ एवं उ अक्षरलोप के उदाहरण हैं।
(इ) इ का ए में परिवर्तन - यथा वेसास (विश्वास) १. १२. ७, वेही (विधि) २. ४. ७; १३. ११. १०, वेउव्व (वि+कु) ८. १७. ६, वेवाह (विवाह) १३. ६, ४. तेइंदिय (त्रि-इंद्रिय) १८. ३. ५, सेवाल (सिवाल, श्रृंगाल) १८. ३. ७, आदि । इय (इति) ६. १. १० में अन्त्य 'इ' का परिवर्तन 'य' में हो गया है । (दे. हे. ८.१.९१)।
(ई) 'अ' का 'ओ' में परिवर्तन चोवाणा (च्यावन) ९. ३. ६ तथा पोएम (पउम) १६. ११. ८ में हुआ है।
(उ) 'उ' का 'ओ' में परिवर्तन यथा - पोग्गल (पुद्गल) २. ८. ८, सोक्ख (सुक्ख) ३. ६. २, पोक्खर (पुष्कर) १६. १४. ७, दोव्व (दुर्वा) १०. ५. ३, ओवाय (उपाय) ९. ११. ५ आदि । (३५). [४] दो समीपवर्ती स्वरों का एकीकरण -
(अ) जिन शब्दों में स्वार्थ य (क) जुडा है उनके अन्तिम अय का आ में एकीकरण हुआ है यथा -- भडारा १. २१. ९, २. ३. ९, १३. १३. ३, हसंता १. ४. ६, पडता ३. ८. ३, जेहा (६. ५. ३) सरिसा ६. १२. ११, वोडाणा ९. ४. ५, राणा ९. ४. ५, ओलागा ९. ४. ३, पावाला १०.५.७, दीवा १०.१०.८, भविया १५. ८. ३, पडीवा १५. १०. १, सारा १५. ११. ९; सेसा १६. ९. ९, धण्णा १६. १२. १०, अंतरिया १६. १५. ५; वराहा १८. ३. ९ आदि ।
. (आ) कर्तावाची अय (अक) प्रत्यय का भी आ में एकीकरण हुआ है यथा- दारा ६. १५. ५, णिवारा १८. १२. १, १६. ७. ४ । - शब्दांत मूल 'अय'का भी यदा कदा आ में एकीकरण हो गया है यथा भयाणा (भयाणय-भयानक ) ९. ४. ९, हू (हूय) ७. १०. ३ ।
___ (ई) शब्द के मध्य में वर्तमान दो स्वरों का भी एकीकरण हुआ है यथा - मोर (मयूर) २. १२. ५, पाडिहेर (प्रातिहार्य) ३. २५, जणेर (जणयर) १०. २. ९, अंधारय (अन्धकारक) १४. २०. १२, अंधारिय (अन्वकारित) १४.२२. १०, उज्झ (अयोध्या) १७. १२. २ आदि । इनके अतिरिक्त 'अव' उपसर्ग का 'ओ' में परिवर्तन हुआ है
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