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व्याकरण ।
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(इ) अकारान्त पुल्लिंग, नपुंसकलिंग शब्दों की सप्तमी विभक्ति का........ए (ई) अकारान्त पुल्लिंग, स्त्रीलिंग शब्दों की तृतीया एक वचन विभक्ति का........" (उ) इकारान्त पुलिंग तथा स्त्रीलिंग शब्दों की ष. एक वचन विभक्ति का........हे (ऊ) सर्वनामों के के, जे, तेहि, तहे, जहे, रूप । (ए) पूर्वकालिक कृदन्त एवि तथा कृत्य प्रत्यय एव्वउँ ।
(ऐ) पूरे ग्रंथ में विलेवण (१८. ९. ६) ही एक उदाहरण ऐसा है जिसके मध्य का 'ए' हूस्व माना गया । इसे हे० ८.१. १४६ नियम का विस्तार माना जाता है ।।
(आ) अनुनासित पदान्त-शब्दों के निम्न रूपों में अनुनासित प्रयुक्त हुआ हैं :(१) अकारान्त नपुंसकलिंग प्रथमा तथा द्वितीया बहुवचन विभक्ति.........। (२) अकारान्त, इकारान्त तथा उकारान्त पुल्लिंग तथा नपुंसकलिंग की तृतीया एक वचन विभक्ति........एँ ।
(३) अकारान्त, इकारान्त तथा उकारान्त, स्त्री० पुलिंग तथा नपुंसकलिंग की तृतीया बहुवचन विभक्ति........ हिं तथा एहि ।
( ४ ) अकारान्त पुल्लिंग की पंचमी बहु वचन विभक्ति........हुँ । (५) अकारान्त, इकारान्त तथा उकारान्त स्त्रीलिंग, पुल्लिंग तथा नपुंसकलिंग की सप्तमी बहु वचन विभक्ति..... । (६) अकारान्त, इकारान्त, उकारान्त, स्त्रोलिंग, पुल्लिंग तथा नपुंसकलिंग की सप्तमी बहुवचन विभक्ति...हि ।
(७) सर्वनामों के हउँ, अम्हइँ, मइँ, अम्हहँ, तुहुँ, तुम्हहँ, तुम्हइँ, पइँ, जे, जहि, ताइँ, तें, ताहँ, तहि, कहिँ आयई तथा आयहि रूप
(८) वर्तमानकाल का प्रथम पुरुष एक वचन का प्रत्यय........उ । (९) वर्तमानकाल का प्रथम पुरुष बहुवचन का प्रत्यय........हुँ । (१०) वर्तमानकाल का तृतीय पुरुष बहुवचन का प्रत्यय........हिं, इँ । (११) भविष्यकाल का तृतीय पुरुष बहुवचन........हि । (१२) विध्यर्थ कृदन्त........एव्बउँ। (१३) क्रियार्थक कृदन्त........अणहूँ ।
(१४) अव्ययों में णाइँ, सइँ, णाहि, जावहि, तावहि तथा एवहि । (इ) अनुनासित व
हे (८. ४. ३९७ ) के अनुसार 'म' यदि शब्द के बीच में आए और यदि वह संयुक्त न हो तो अनुनासित 'व' में परिवर्तित हो जाता है । इस नियम के अनुसार जेम, केम आदि शब्दों का जेवँ या जेम्व । केव, केम्व में परिवर्तित होना अपेक्षित था। किंतु दोनों प्रतियों में यह प्रायः नहीं हुआ है। उक्त नियम के आंशिक रूप से पालन किए जाने के कुछ उदाहरण अवश्य हैं जब कि जेम, केम जैसे शब्दों का म जब कब व में परिवर्तित हुआ है । णाम शब्द अवश्य अनेक स्थानों पर अनुनासित वँ में परिवर्तित है । समलहण एक अन्य शब्द है जो बहुधा सवलहण में बदला गया है । पगाम काम भी अनेक स्थानों पर व में परिवर्तित है किंतु इन दोनो शब्दों का व दोनों प्रतियों में अनुनासित नहीं है । वर्तमानकाल के प्रथम पुरुष का प्रत्यय 'मि' केवल एक स्थान पर वि में परिवर्तित पाया गया है- विसहिवि (२. ११. ८) किंतु एक प्रति में वह विसहेवि रूप से था अतः सम्पादित प्रति में उसे विसहिमि कर दिया है।
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