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-१७, २४, १२]
पासणाहचरिउ सामंतहि सरिसउ हरिसियंगु गउ बंदण-हत्तिए णं अणंगु । णरणाहें जिणवरु देउ दिदै सिंहोसण संहिउँ गुण-वैरिछ । पत्ता- अट्ठारह-दोस-विवज्जेिंउ सयल-परीसह-रिउ-दलणु । णरणाहे पणविउ जिणवरु असुर-णरोरग-थुव-चलणु ॥ २३ ॥
२४ जय णाण-महोवहि विमल-देह जय परम-परंपर खीण-मोह। जय सील-विहूसिय भुवण-णाह जय विमल-धवल केवल-सणाह। जय अजर अमर जिण विगय-लेव जय णर-सुर-वंदिय देव-देव । जय भुवण-दिवायर सोम-तेय जय एय अणेय घणेय-तेय । जय तिहुअण-सयलहों सामिसाल जय जीव-दयावर गुण-विसाल। जय तिमिर-दलण चउ-घाइ-कम्म जय णिम्मल भासिय-दुविह-धम्म । जय गणहर-मुणिवर-णमिय-पाय जय कलि-मल-णासण वीय-राय । जय पंचणाण परमत्थ-गब्भ
जय जिणवर पंचिंदिय णिसुंभ । जय पाडिहेर-पडिमिय-सुमंत जय अचल अमल तिहुअग-महंत । पत्ता- जय जय-जिणवर सामिय दंसण-णाण-विहूसिय ।
देहि बोहि पउमच्चिय अविचल सुरहिं णमंसिय ॥ २४ ॥
॥ संधि ॥ १७॥
१० ख- 'अंगु । ११ ख- दिछ । १२ क-सिंघासणे । १३ ख- संठिउ । १४ ख- बरिट्ठ । १५ क- 'जियउ ।
(२४) १ क- अजय । २ ख- भय एयमणेय अणेय मेय । ३ ख- परिमिय समंत । ४ क- में यह पद छूटा है।
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