Book Title: Pasanahchariyam
Author(s): Padmkirti
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
________________
१४८ ]
पार्श्वनाथचरित
[ तणु
तणु-तनु २.१४.१२, ५.१.१२, ५.२.५; १०.११.१० तणुयपवण-तनुपवन ( = लोकको घेरे रहनेवाली तीन
वायुओंमेंसे तीसरी १६.१७.१ तणुरक्ख -तनुरक्ष (= अंगरक्षक) ६.३.८ तणुयवात-तनुवात १४.१२.८ तण्ह-तृष्णा २.१२.८; २.१३.१२; ६.१०.१० तत्त-तप्त १.१३.३, २.११.७
तत्ति-(= वार्ता ) १.४.५ तम--तमस् (= अंधकार ) १०.८.६ तम-(= तमप्रभा पृथिवी) १६.४.३ तमपुढवि-(=तम पृथिवी)५.८.२ तमाल-त. स. (= एक वृक्ष ) ६.१२.८; ७.८.८; १४.२.. तमाल-त. स. (= अन्धकार)८.६.७ तमि-तम्+अपि २.५.७ तमोह-तमौध (= एक दिव्यास्त्र) १२.६.१० तयहिं तदा २.५.४ तयारिसा-तादृशः १४.११.१०
तरंग-त. स. १०.६.२ 'तरण-त. स. (= तरना) १.२०.४ तरल-त. स. (= चंचल ) ६.६.४; ६.१२.७ तरलसार-त. स. (एक वृक्ष ) १४.२.८ तरव-तरवड् ? (= एक वृक्ष) १४.२.४ तरट्ट-? (=किसी प्रदेशका नाम है) ११.५.११ तरु-त. स. १.६.५, २.६.३ तरुण-त. स. २.५.२ तरुवर-त. स. १.२३.५, ३.५.६%
४.१०.५; १०.१२.३ Vतलप्प-(पा. म. में इसका अर्थ तपना, गरम होना दिया
है। वर्तमान संदर्भ क्र द्ध होना या झपटना उपयुक्त होता है) १२.३.६
पू. कृ. तलप्पइ तलविवर-त. स. (=पृथिवीके अन्तरालकी गुहा) ६.४.६ तलाव-तडाग १.६.५ तव-तप ( =तपस्या ) १.१६.२; १.२१.७ (बहुशः) तवतत्त-तपतप्त (= तपस्यामें लीन ) १४.१०.२ Vतव--तप् (१ = तपना)
वर्त. कृ. तवंत १.७.१० प्रे. वर्त. कृ. तावत ६.१०.५ भू. कृ. तविय १.२१.७, ३.४.२ प्रे. भू. कृ. ताविय ६.१०.७; ६.१०.१० (२ = तपस्या करना)
वर्त. कृ. तवंत ५.८.१ भू.कृ. तविय ४.१.६
पू. कृ. तवणहिं १.१६.२ ३.१६.५, तवचरण-तपश्चरण ३.११.८; १.२.७ तवधर-तपधर ( = तप करनेवाला) ४.७.८ तववल-तपोबल ८.१४.८ तवसि-तपस्विनी १४.२३.३ तवसिरि-तपश्री ५.८.५ तवस्सि-तपस्वी ७.१३.५ तवोवण-तपोवन १.२०.३, १.२१.२, २.५.११ तस-त्रस (जीव) १६.२.६ तसणाडि-वसनाडि १२.२.६ तह-तथा २.३.६ Vताड-ताडय
कर्म. वर्त. तु ब. ताडिज्जहिं १८.१.६ भू. कृ. ताडिय १.१२.२., १.२२.२ २.१२.६%3 ११.८.२८
पू. कृ. ताडेवि १४.७.१ ताण-त्राण ६.१०.४, ११.८.१० ताणवाय-तानवाक् ( = तानाभरा वचन ) ११.६.१५ ताम-तावत् १.५.. तामहिं-तावत् हि १४.६.८ ताबिलं-(एक वाद्य ?) ८.७.५ ताय-तात १०.१.६ तारण-त. स. (= पार उतारना ) ४.७.६ तारय-तारक (= दूसरा प्रति वासुदेव ) १७.२२.३ 'तारया- (१ = कनीनिका ? ) ८.२०.११
(२ = नक्षत्र आदि ज्योतिष्क देव) ८.२०.११ तारा-त. स. (=ज्योतिष्क देव ) २.१४.८; १६.१६.११ तारायण-तारागण १.५.." ताल-त स (= एक वृक्ष ) ७.६.८,१४.२.१ तालिय-(= तालसे नियामित ) ८.१३.८ तावस-तापस ७.१३.४ तावहिं तावत् १.१०.६८.१२.२ तावियड-तापीतट ११.५.१ तासिय-त्रासित (प्रस्+प्रे० भू० कृ०) १२.७.१० ति-अति ८.११.८ ति-त्रि (= तीन ) १.२१.८१.२१.१०,१३.६.३,१३.७.६
-ब. तिणि ३.१०.११७६.३.१०.४.३ तिउण-त्रिगुण ( = तीन गुना ) १२.५.७
-स्त्री० तिउणी १२.५.५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538