Book Title: Pasanahchariyam
Author(s): Padmkirti
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad

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Page 517
________________ २१२ ] नौवीं संधि ६. ३. २. अंगुट्ठअमिय आहार ( अंगुष्ठामृताहार ) - तीर्थंकर द्वारा अपनी अंगुली से अमृत आहार लेनेका उल्लेख आवश्यकनियुक्ति भी किया गया है । उस ग्रन्थके अनुसार देव तीर्थंकर की अंगुली में मनोज्ञ आहार रख देते हैंआहारमंगुलीए विहित देवा मगुण्णतं तु - आ. निं. १८५ । पार्श्वनाथचरित ६. ४. ५. बोडाणा राणा- बोडाण शब्दका अर्थ धर्मनिष्ठ होता है ( दे. मा. ६. ९६ ) । किन्तु यह अर्थ यहाँ उपयुक्त नहीं है; यहाँ वह किसी देशका नाम प्रतीत होता है 'टो डः' ( है. ८.१.१९५ ) तथा 'बभयोरभेदः' के अनुसार बोडाणा भोटानाका रूप सिद्ध होता है । प्राचीन कालमें तिब्बतको भोट देश कहा जाता था; अतः भोटाणसे आशय तिब्बतके निवासियोंसे हुआ। राणाका अर्थ राजा होता ही है तदनुसार बोडाणा राणाका अर्थ तिब्बतियोंका राजा हुआ है। - हूण - मध्य एशियाकी इतिहास प्रसिद्ध जनजाति जिसने भारतपर प्रथम बार आक्रमण गुप्त सम्राट् कुमारगुप्त प्रथम राज्यकालमें किया था । यह आक्रमण युवराज स्कंदगुप्त द्वारा असफल किया गया था । हूणोंके प्रसिद्ध राजा तोरामन या तोरमाण तथा मिहिरगुलने छठवी शताब्दि में पश्चिम भारतपर राज्य किया । नौवीं शताब्दि मालवा के उत्तर-पश्चिममें हूणोंका स्वतंत्र राज्य था । इस कारण से वह क्षेत्र हूणमंडल कहलाता था। दसवीं शताब्दि के अन्तिम चरणमें परमार राजा वाक्पतिराज द्वितीय तथा सिंधुराजने हूण मंडलके प्रधानोंको परास्त किया था । - जट्ट - प्राचीन भारत में यौधेय नामकी एक प्रसिद्ध जनजाति थी जो महाभारतके समय पूर्वी पंजाब में बसी हुई थी। इस जनजाति में गणतंत्र राज्यकी व्यवस्था थी । कालान्तर में इस जन-जातिको जोहिया नामसे निर्दिष्ट किया जाने लगा (हिं. ई. पू. ३४२ ) । कुछ काल और व्यतीत होनेपर इसका नाम जट्ट हो गया। आज इस जातिके लोग जाट कहलाते हैं । - गुज्जर ( गुर्जर ) - गुर्जर प्रतिहार नामके राजवंशने नौवीं तथा दसवीं शताब्दियों में उत्तरभारत में एक साम्राज्य के रूपमें राज्य किया। चूँकि प्रतिहार ( पडिओहार ) का उल्लेख आगे किया गया है अतः कविका आशय गुर्जरसे संभवतः गुजरात के एक अन्य राजवंशसे रहा हो । यह राजवंश सातवीं आठवीं शताब्दिमें भडौच के आसपास राज्य करता था । इस वंशके प्रसिद्ध राजा दद्द प्रथम तथा दद्द द्वितीय हैं। इस वंशका अन्तिम राजा जयभट्ट था जिसे सन् ई० ७३६ के लगभग अरब आक्रमणकारियोंने परास्त कर उस वंशके राज्यका अंत किया । - खस-काश्मीर घाटीके दक्षिणमें निवास करनेवाली एक जनजाति जो आज खाख कहलाती है (ला. इ. प्र. ३६२) । दशवीं शताब्दि के मध्य में खस सामन्त काश्मीरपर राज्य कर रहे थे (हि. पी. ह्वा. ४ पृ. ८४ ) संभव है ये ही कविकी दृष्टि में रहे हों । - तोमर - यह राजपूतोंका एक प्रसिद्ध राजवंश है। दसवीं शताब्दि में इस वंशका राज्य दिल्ली तथा उसके आसपास के प्रदेशपर था । सलक्षणपाल, अनंगपाल तथा महीपाल इस वंशके प्रमुख राजाओंके नाम हैं । (हि. पी. ह्वा. ४. प्र. ११०, १११ ) - भट्ट चट्ट - पूर्वी बंगाल में पालवंशके प्रभुत्व में आनेके पूर्व ढाकाके आसपास एक वंशके राजा राज्य करते थे । उस वंशका संस्थापक भट्ट कहलाता था । उसके उत्तराधिकारी भी भट्ट कहलाए। (हि. वें. ह्वा. १. पृ. ९८, ९९ ) । संभव है यहाँ कविका आशय इसी वंशसे हो। भट्टके किसी उच्चपदके होनेका भी अनुमान किया गया है। इसी प्रकार चट्ट भी कोई उच्च पद हो सकता है । ६. ४. ६ हरिवंसिय- हरिवंश में उत्पन्न राजाओंसे आशय है । हरिवंश एक प्रसिद्ध पौराणिक राजवंश है। इसी वंशमें ययाति और यदु उत्पन्न हुए थे । यदुके पश्चात् यह वंश यादव वंश भी कहलाने लगा । जैन पुराणोंके अनुसार हरिवर्ष क्षेत्र में उत्पन्न एक युगल द्वारा जो वंश चलाया गया वह हरिवंश कहलाया । - दहिया - अज्ञात । - सुज्जवंस (सूर्यवंश) - यह एक प्रसिद्ध पौराणिक राजवंश है। इसी वंशमें मान्धाता, हरिश्चन्द्र, दिलीप तथा रघु Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org

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